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सिख दंगाः टाइटलर के पक्ष में तीसरी बार क्लोजर रिपोर्ट

सिख दंगाः टाइटलर के पक्ष में तीसरी बार क्लोजर रिपोर्ट

सीबीआई ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के सिलसिले में वरिष्ठ कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर के खिलाफ एक मामले में अदालत में तीसरी बार क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की है। इस मामले में अदालत ने आज पीड़ित को नोटिस जारी किया।
ज्यादा मजबूत चुनाव आयोग के पक्ष में है विधि आयोग

ज्यादा मजबूत चुनाव आयोग के पक्ष में है विधि आयोग

विधि आयोग ने ज्यादा मजबूत चुनाव आयोग की वकालत की है जिसमें उसके सभी सदस्यों को समान संवैधानिक सुरक्षा हासिल हो और मुख्य चुनाव आयुक्त एवं दो चुनाव आयुक्तों का चयन उच्च शक्ति प्राप्त चयन मंडल करे।
स्त्री की नजर से रचना संसार

स्त्री की नजर से रचना संसार

आजकल फैशन हो गया है कि किसी विमर्श पर ध्यान लगाया जाए तो ही साहित्य 'बिकाऊ’ हो सकता है। लमही का नया अंक स्त्री विमर्श से ज्यादा उन्हें समझने और उनकी भावनाओं को सामने लाने का अंक है।
दीमापुर हत्या: भीड़ के न्याय के पक्ष में शिवसेना

दीमापुर हत्या: भीड़ के न्याय के पक्ष में शिवसेना

शिवसेना ने दीमापुर में भीड़ द्वारा बलात्कार के आरोपी को जेल से बाहर खींचकर मार डालने की घटना को सही ठहराने की कोशिश की है। पार्टी मुखपत्र सामना में इस संदर्भ में एक लेख छापा गया है।
इंडियाज डॉटर के पक्ष में एडिटर्स गिल्ड

इंडियाज डॉटर के पक्ष में एडिटर्स गिल्ड

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने सरकार से बीबीसी के वृतचित्र के प्रसारण पर लगाये गए प्रतिबंध को हटाने की मांग की है। इस वृतचित्र में 2012 के निर्भया सामूहिक बलात्कार एचं हत्या के बाद की स्थिति को दर्शाया गया है। गिल्ड ने कहा है कि यह कदम गैर जरूरी था।
जवाबदेही के जुए से कतराती नौकरशाही

जवाबदेही के जुए से कतराती नौकरशाही

सूचना के अधिकार कानून के क्रियान्वयन पर अभी चार अध्ययन आए हैं। दो गैर सरकारी, परिवर्तन और सूचना के जनाधिकार पर राष्‍ट्रीय अभियान द्वारा, और दो सरकारी, केंद्रीय सूचना आयोग की कमेटी और स्वयं भारत सरकार के कार्मिक मंत्रालय द्वारा। सभी की रिपोर्ट के अनुसार सूचना का अधिकार सक्षमता से लागू करने में मुख्य बाधा अपर्याप्त क्रियान्वयन, कर्मचारियों के प्रशिक्षण का अभाव और खराब दस्तावेज प्रबंधन है। किसी ने फाइल देखने की नोटिंग की मांगों और खिझाऊ तथा तुच्छ आवेदनों के कारण नहीं माना है। फिर भी कार्मिक मंत्रालय नौकरशाही के दबाव में इनसे संबंधित लाना चाहता है तो उसकी मंशा पर शक होता है वही कार्मिक मंत्रालय जिसका अपना अध्ययन बताता है कि अभी देश के सिर्फ 15 प्रतिशत लोगों को सूचना के अधिकार के कानून की जानकारी है और 85 प्रतिशत लोगों को नहीं। यानी नौकरशाही अभी भी सिर्फ 15 प्रतिशत भारतीयों के प्रति जवाबदेह होने से भी कतरा रही है। और परिवर्तन की रिपोर्ट के अनुसार इन 15 प्रतिशत में सिर्फ एक-चौथाई यानी 27 फीसदी ही संतोषप्रद सूचना हासिल कर पाते हैं।
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