क्या आम आदमी पार्टी (आप) सचमुच लोकतांत्रिक मूल्यों या सामाजिक सरोकारों के लिए लड़ना चाहती है या जैसे-तैसे चुनाव जीतना ही इसका पहला मक़सद है? पार्टी के भीतर चल रही उथल-पुथल से यह अहम सवाल पैदा होता है।
आम आदमी पार्टी के असंतुष्ट नेता प्रशांत भूषण ने पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल को नया पत्र लिखकर उन मुद्दों की ओर ध्यान आकर्षित किया है जिन्हें वह उठाने की कोशिश करते रहे हैं। भूषण ने इन खबरों को भी खारिज कर दिया कि अगर केजरीवाल उनकी मांगों को मान लेते हैं तो वह राष्ट्रीय कार्यकारिणी से हटने को तैयार हैं।
आम आदमी पार्टी (आप) में केजरीवाल गुट और योगेंद्र-प्रशांत के बीच सुलह के आसार नजर आ रहे हैं। संघर्षरत धड़ों में सुलह का संकेत देते हुए अरविंद केजरीवाल के बेंगलूरू से लौटने के कुछ ही घंटों बाद उनके समर्थक नेताओं ने सोमवार को देर रात योगेंद्र यादव से मुलाकात की और कई विवादास्पद मुद्दों पर बातचीत की।
भ्रष्टाचार मुक्त राजनीति, प्रत्यक्ष लोकतंत्र (डायरेक्ट डेमोक्रेसी), स्वराज जैसे जुमलों को हवा में उछाल कर जिस तरह आम आदमी पार्टी यानी ‘आप’ दिल्ली की सत्ता में आई। उसे जनता के एक बड़े हिस्से ने भारतीय राजनीति में बदलाव की ताकत के तौर पर देखा। लेकिन पार्टी के मुख्य हीरो जिस तरह लगातार इन शब्दों का मजाक उड़ाते रहे उससे नाराज लोग अब सवाल उठाने लगे हैं कि यह आप का स्वराज है कहां?
आप की भ्रष्टाचार मुक्त राजनीति की पोल अब पूरी तरह खुल चुकी है। यह भी साबित हो चुका है कि पार्टी का केजरीवाल गुट किसी भी तरह से सत्ता में आना और बने रहना चाहता है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में जिस तरह से आपराधिक, धनबली और बाहुबली प्रत्याशियों को मैदान में उतारा गया उस पर सवाल तो उठे थे लेकिन केजरीवाल गुट के मीडिया मैनेजरों ने कभी भी इन्हें मुख्य सवाल नहीं बनने दिया। क्या अपराधियों और बाहुबलियों को साथ लेकर कोई भ्रष्टाचार विरोधी लड़ी जा सकती है। यह सवाल उठाना अब पार्टी के वरिष्ठ नेता योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण को महंगा पड़ रहा है क्योंकि कल के उम्मीदवार आज चुनाव जीत चुके हैं और दोनों नेताओं को ठिकाने लगाने के लिए अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्सेदारी कर रहे हैं।
आम आदमी पार्टी में बुधवार को उस समय संकट और गहरा गया जब पार्टी की वरष्ठि नेता अंजलि दमानिया ने पार्टी छोड़ने की घोषणा की। आप में जारी विवाद के क्रम में दमानिया ने यू-टर्न लेते हुए कहा कि उन्होंने पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल से कथित तौर पर संबंधित एक ऑडियो टेप आने के बाद पार्टी छोड़ने की घोषणा की है।
योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को आम आदमी पार्टी (आप) की पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी (पीएसी) से निकालना अरविंद केजरीवाल गुट के गले की फांस बन गया है। केजरीवाल के करीबी मनीष सिसोदिया, गोपाल राय, संजय सिंह और पंकज गुप्ता ने यादव और भूषण को पीएसी से हटाने को लेकर सफाई दी है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के मंत्रिमंडल और आप की राजनीतिक मामलों की कमेटी में एक भी महिला क्यों नहीं हैं? नारीवादी ऐक्टिविस्ट और भारत की कम्यूनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) की पोलित ब्यूरो सदस्य कविता कृष्णन ने यह सवाल उठाकर केजरीवाल को घेरने की कोशिश की है।
आप का एक गुट योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण को इतना अपमानित करना चाहता था कि वे पार्टी छोड़कर चले जाएं लेकिन उन्होंने ऐसा न कर उस गुट के इरादों पर पानी फेर दिया। अब वही गुट मुझे भी अपमानित करने पर उतारू है। यह कहना है कि आप नेता मयंक गांधी का। उन्होंने एक और ब्लॉग लिखकर अपनी बात कही है।