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दूसरे दिन भी शेयर बाजार में हाहाकार

दूसरे दिन भी शेयर बाजार में हाहाकार

लगभग सभी सेक्टरों में बिकवाली के दबाव के बीच बंबई स्टॉक एक्सचेंज का संवेदी सूचकांक ढाई हफ्ते के सबसे निचले स्तर पर 27 हजार से भी कम हो गया। जानकार बता रहे हैं‌ कि इसमें सूखे की आशंका और केंद्रीय बैंक तथा वित्त मंत्रालय के बीच की तनातनी मुख्य वजह है।
एनटीपीसी, आईओसी के सरकारी शेयर बेचने को मंजूरी

एनटीपीसी, आईओसी के सरकारी शेयर बेचने को मंजूरी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बिजली उत्पादक कंपनी एनटीपीसी में अपनी पांच प्रतिशत हिस्सेदारी और इंडियन आयल (आईओसी) में 10 प्रतिशत हिस्सेदारी के विनिवेश के प्रस्तावों को बुधवार को मंजूरी दे दी है।
सरकार से मोहभंगः शेयर बाजारों में तगड़ी गिरावट

सरकार से मोहभंगः शेयर बाजारों में तगड़ी गिरावट

ऐसा लगता है कि मोदी सरकार का पहला साल कारोबारी जगत को रास नहीं आ रहा। तभी तो शेयर बाजार लगातार बेजार होता जा रहा है और सेंसेक्स पिछले चार महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया है।
क्यों लुढ़कता जा रहा है बाजार

क्यों लुढ़कता जा रहा है बाजार

सिर्फ यह कहना गलत होगा कि मोदी सरकार के एक साल में उम्मीद से कम काम करने के कारण ही शेयर बाजार लुढ़कता जा रहा है। पिछले कुछ दिनों के दौरान सेंसेक्स और निफ्टी में 11 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है और निवेशकों को भारतीय बाजार के मुकाबले चीनी बाजार ज्यादा आकर्षक लग रहा है।
शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स 291 अंक मजबूत

शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स 291 अंक मजबूत

एशियाई बाजार में तेजी के रुख के बीच कारोबारियों द्वारा चुनिंदा क्षेत्र के शेयरों की खरीद बढ़ाए जाने से बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स सेमवार के शुरुआती कारोबार में 291 अंक मजबूत होकर 27,302.63 अंक पर पहुंच गया।
सेंसेक्स की 479 अंक की लंबी छलांग

सेंसेक्स की 479 अंक की लंबी छलांग

बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स सोमवार को 479 अंक की लंबी छलांग के साथ 27,490.59 अंक पर पहुंच गया। वाहन, रीयल्टी तथा रिफाइनरी कंपनियों के शेयरों में लिवाली से बाजार की धारणा को बल मिला। अप्रैल में लगातार बिकवाली के बाद निवेशकों ने अब नए सौदे किए हैं। नेशनल स्टाक एक्सचेंज का निफ्टी भी 150 अंक की बढ़त के साथ एक बार फिर 8,300 अंक के स्तर के पार निकल गया।
भारतीय मीडिया और स्त्री सौंदर्य के रूपक-विरूपक

भारतीय मीडिया और स्त्री सौंदर्य के रूपक-विरूपक

बाज़ार को बेचने हैं सौंदर्य को बढ़ाने वाले संसाधन इसलिए ‘च्‍वाइसेस’ या विकल्‍पों की बात हो रही है। लेकिन मुझे परेशानी इस बात से ज्यादा है कि वही स्त्री जब भारत के सड़कों, गलियों, खेतों, खलिहानों, कस्बों में बलत्कृत, क्षत-विक्षत मृत शरीर के रूप मे पाई जाती है। तब ना आपको उस पर बात करने से गुरेज है और ना उसका छायांकन करने में। लेकिन वही स्त्री जीवित अवस्था में अपने उसी शरीर पर हक की बातें करती है तो आपको 'परिवार व्यवस्था' से लेकर 'स्त्री देवी' के भ्रम के टूटने की धमक सुनाई देने लगती है।
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