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Search Result : "अहमदाबाद दंगे"

‘रोटी कमाने वाले कायम रहें’

‘रोटी कमाने वाले कायम रहें’

जिसे जिसका मांस खाना हो खाए, कोई गाय को माता माने या न माने, कोई बार-बार विदेश जाकर भारत की जैसी मर्जी महिमा मंडन करे, कोई किसी को मुल्ला कहे या पाकिस्तानी। मुसलमानों के एक बहुत बड़े वर्ग को इन बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता। ये मध्य और निम्न मध्य वर्ग के वे मुसलमान हैं जो दंगों की लपटों में झुलस जाते हैं। इस वर्ग को मतलब है तो सिर्फ इस बात से कि इन्हें दो जून की रोटी मिलती रहे और रोटी कमाने वाले कायम रहें। ये अपने गांव में रहते रहें क्योंकि दूसरी किसी जगह पर ठिकाना नहीं है। इन्हें रहने के लिए गांव छोडक़र कैंपों में न जाना पड़े। यही इनकी सबसे बड़ी फिक्र है।
विश्‍व में गोधरा-अहमदाबाद से है मोदी की पहचान: शिवसेना

विश्‍व में गोधरा-अहमदाबाद से है मोदी की पहचान: शिवसेना

भाजपा और शिवसेना के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। मुंबई में गुलाम अली का कंसर्ट रद्द होने को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दुखद करार दिए जाने पर शिवसेना ने कड़ा ऐतराज जताया है। नरेंद्र मोदी काे उनका अतीत याद दिलाते हुए शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा, नरेंद्र मोदी जी की पहचान विश्व में गोधरा-अहमदाबाद की वजह से हुई है, और उसी वजह से हम मोदी जी का आदर भी करते हैं।
शालिनी ईद की सेवइयों, यास्मीन दिवाली की मिठाई बाट जोहती है

शालिनी ईद की सेवइयों, यास्मीन दिवाली की मिठाई बाट जोहती है

दादरी के बिसहड़ा गांव में गोमांस रखने की अफवाह के कारण हुई अखलाक अहमद की हत्या से बेशक चारों ओर नफरत का धुंआ फैल रहा है लेकिन नफरत के गहराते काले धुंए में भी दिल को सुकून देने वाली हिंदू-मुस्लिम मोहब्बत की कई मिसालें कायम हैं। हाल ही में मिर्जापुर दौरे के दौरान ऐसी ही एक मिसाल देखने को मिली। शालिनी कुशवाहा समेत बहुत सारी हिंदू महिलाओं को यास्मीन फातिमा की ईद की सेंवइयों का इंतजार होता है तो यास्मीन हिंदु सहेलियों के घर में बनी होली की गुझियों और दीवाली की मिठाइयों की बाट जोहती है।
मुजफ्फरनगर दंगे: जांच आयोग ने राज्‍यपाल को सौंपी रिपोर्ट

मुजफ्फरनगर दंगे: जांच आयोग ने राज्‍यपाल को सौंपी रिपोर्ट

करीब दो साल के इंतजार के बाद मुजफ्फरनगर दंगे के गुहनगारों के नाम उजागर हो सकते हैं। दंगों की जांच कर रहे जस्टिस विष्‍णु सहाय आयोग ने बुधवार को अपनी रिपोर्ट राज्यपाल राम नाईक सौंपी दी है।
गुजरात में सामान्य होते हालात, सभी जगह से कर्फ्यू हटा

गुजरात में सामान्य होते हालात, सभी जगह से कर्फ्यू हटा

गुजरात में पटेल समुदाय के आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन के इस हफ्ते हिंसक रूप लेने के बाद अब हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं और पिछले दो दिनों में हिंसा की कोई बड़ी घटना ना होने के बाद सभी प्रभावित हिस्सों से आज कर्फ्यू हटा लिया गया।
पटेलों ने खोली गुजरात मॉडल की पोल

पटेलों ने खोली गुजरात मॉडल की पोल

'अमिताभ बच्चन की बातों पर न जाएं। गुजरात से जुड़े उनके विज्ञापन झूठे हैं। कुछ दिन बिताओ हमारे गुजरात के देहातों में तो असलियत पता चल जाएगी। किसान आत्महत्या कर रहे हैं। युवक सड़कों पर बेकार घूम रहे हैं। तलाटी तक की नौकरी के लिए लाखों रुपये की घूस देनी पड़ती है। क्या यही है गुजरात का विकास मॉडल ?’
गुजरात में तनाव, कई इलाकों में सेना तैनात

गुजरात में तनाव, कई इलाकों में सेना तैनात

पटेल आरक्षण की आग में झुलस रहे गुजरात में तनाव बरकरार है। मंगलवार से जारी संघर्ष में मरने वालों की संख्या 9 तक पहुंच गई और राज्‍य के कई शहरों में स्थिति पर काबू पाने के लिए सेना तैनात की गई है।
प्रतिरोध: देश भर में 'मुजफ्फरनगर बाकी है' का प्रदर्शन

प्रतिरोध: देश भर में 'मुजफ्फरनगर बाकी है' का प्रदर्शन

2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगे पर बनी डॉक्यूमेंट्री फिल्म मुजफ्फरनगर बाकी है काफी चर्चा में रही है। यह फिल्म दंगे के दौरान के हालात और वहां के स्थानीय लोगों की भावनाओं का बखूबी इजहार करती है। फिल्म के जरिये उन तत्वों की तरफ इशारा किया गया है जो मुजफ्फरनगर के हालात के जिम्मेदार हैं। यही वजह है कि इस फिल्म का प्रदर्शन कई संगठनों के गले नहीं उतर रहा है। कई बार फिल्म के प्रदर्शन को बलपूर्वक रोकने की कोशिश की गई। ऐसे ही दमनकारी आक्रमणों के प्रतिरोध में फिल्म की टीम और अन्य कई संगठनों ने मिलकर एक ही दिन पूरे देश में फिल्म का प्रदर्शन किया।
हिंसक हुआ पटेल आंदोलन, अहमदाबाद में 13 साल बाद कर्फ्यू

हिंसक हुआ पटेल आंदोलन, अहमदाबाद में 13 साल बाद कर्फ्यू

प्रदर्शनकारियों पर पुलिस के लाठीचार्ज और हार्दिक पटेल को हिरासत में लेने के बाद गुजरात में पटेल आंदोलन हिंसक हो गया। कई शहरों में हिंसक झड़पों और आगजनी के बाद देर रात कर्फ्यू लगाना पड़ा। स्थिति पर काबू पाने के लिए अर्धसैनिक बलों की मदद ली जा रही है। गुजरात के प्रमुख शहरों में मोबाइल इंटरनेट पर रोक लगा दी गई है।
जवाब में बर्खास्‍त आईपीएस अफसर संजीव भट्ट की कविता

जवाब में बर्खास्‍त आईपीएस अफसर संजीव भट्ट की कविता

वर्ष 2002 में गोधरा कांड के बाद भड़के दंगों को लेकर नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली गुजरात सरकार पर सवाल उठाने वाले आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को पुलिस सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। केंद्र सरकार के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए संजीव भट्ट ने कहा कि वह 24 साल की उम्र में एक जुनून के साथ आईपीएस में आए थे और यह आग आज भी उनके अंदर जल रही है। उनका कहना है कि सरकार ने ड्यूटी से गैर-हाजिर रहने के मनगढ़ंत आरोपों पर एकतरफा जांच कर उन्‍हें सेवा से हटाने का फैसला किया है। सरकार के इस फैसले के खिलाफ संजीव भट्ट ने एक कविता के जरिये अपनी प्रतिक्रिया व्‍यक्‍त की है। इस अंग्रेजी कविता का अनुवाद इस प्रकार है:
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