आतंकी चक्रव्यूह में ‘सिंह’ की दहाड़
पाकिस्तान की ऐसी दशा और आतंकी छवि कभी नहीं थी। 1965 और 1971 के युद्ध के बाद भी भारत-पाकिस्तान की वार्ताओं में कूटनीतिक शिष्टाचार एवं सम्मान प्रदर्शित होता था। अयूब खान, जिया उल हक और जनरल मुशर्रफ के सत्ताकाल में भी दिल्ली, इस्लामाबाद, लाहौर या आगरा में दोनों देशों के नेताओं के साथ कूटनीतिक गरिमा की रक्षा होती रही।