गुजरात हाईकोर्ट ने अारक्षण पर गुजरात सरकार को एक बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने आनंदी बेन सरकार के उस फैसले पर रोक लगा दी है, जिसमें उन्होंने आर्थिक आधार पर सवर्णों को आरक्षण दिए जाने का प्रावधान किया था। सरकार ने आर्थिक आधार पर सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने का अध्यादेश जारी किया था, जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। अदालत ने इस याचिका के आधार पर सरकार के फैसले पर रोक लगा दी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को अभी गुजरात को संभालना होगा। अगर वह इस चुनौती को साध नहीं पाए तो उनके लिए आने वाला समय काफी कठिन हो सकता है। उनका गढ़ माने जाने वाले गुजरात में अब भाजपा अपनी पकड़ खोती जा रही है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा के सर्वे में यह खुलासा हुआ है कि अगर इस वक्त गुजरात में चुनाव हुए तो पार्टी को विधानसभा की 182 में से 60-65 सीटों के साथ ही संतुष्ट होना पड़ेगा।
आनंदीबेन पटेल के गुजरात के मुख्यमंत्री पद से हटने संबंधी फैसला लेने के एक दिन बाद राहुल गांधी ने मंगलवार को कहा कि किसी को बलि का बकरा बना देने से भाजपा स्वयं को राज्य में नहीं बचा पाएगी क्योंकि राज्य के जलने के लिए नरेंद्र मोदी का 13 साल का शासन जिम्मेदार है। गांधी ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर कहा, गुजरात के जलने के लिए आनंदीबेन का दो साल का शासन नहीं, बल्कि मोदी शासन के 13 साल जिम्मेदार हैं।
गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने गुजरात के मुख्यमंत्री पद से हटने की पेशकश की है। उन्होंने यह कहते हुए पद छोड़ने की मंशा जताई कि दो महीने के बाद वह 75 वर्ष की हो जाएंगी और ऐसे में पार्टी की नीतियों के तहत वह अपना पद छोड़ देंगी। उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर यह घोषणा की है।
गुजरात के उना में कथित गोहत्या के आरोप में अपने समुदाय के युवकों की बेरहमी से पिटाई के विरोध में दलितों ने जमकर हंगामा किया। सात दलित युवकों ने राजकोट में आत्महत्या करने की कोशिश की। इस बीच, मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने घटना की सीआईडी जांच का आदेश दे दिए हैंं। मामले की सुनवाई के लिए एक विशेष अदालत गठित किए जाने की भी घोषणा की है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह जब से देश और भाजपा की कमान संभाले हैं तब से पार्टी के 75 साल पार हो चुके बड़े-बुजुर्ग नेताओंं को धीरे-धीरे किनारे किया जा रहा है। लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी को मार्गदर्शक का दर्जा देकर सक्रिय राजनीति से अलग किया गया। शांता कुमार और यशवंत सिन्हा को भी अलग-थलग कर दिया गया। इसके बाद मध्य प्रदेश के वरिष्ठ नेता बाबूलाल गौर और सरताज सिंह समेत कुछ अन्य मंत्रियों को राज्य मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया गया।