लंबे अर्से से जारी गतिरोध खत्म होने का साथ ही जम्मू कश्मीर में सरकार गठन का रास्ता साफ हो गया है। पीडीपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती सईद की बेटी महबूबा मुफ्ती को आज सर्वसम्मति से पीडीपी विधायक दल ने अपना नेता चुन लिया। साथ ही पार्टी ने महबूबा को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार भी घोषित कर दिया।
रंगों का त्योहार होली हो या रोशनी का उत्सव दीवाली- समाज के हर वर्ग को साथ मिलकर खुशियां बांटने की प्रेरणा देता है। यूं देश के शीर्ष नेता औपचारिक शुभकामना संदेश देते हैं, लेकिन हाल के वर्षों में राजनीति में सक्रिय नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच जिस तरह की जहरभरी पिचकारियां चलती हैं, वह समाज और लोकतंत्र के लिए खतरनाक बनती जा रही हैं।
राजीव गांधी की कंप्यूटर क्रांति या नरेन्द्र मोदी-राहुल गांधी की डिजिटल क्रांति से दिख रही प्रगति को सलाम ही किया जाएगा। हां, राजीव युग में बदलाव के साथ नए-पुराने लोगों और टेक्नोलॉजी का समन्वय था। मोदीजी की डिजिटल क्रांति में सब कुछ बदला हुआ दिखना जरूरी है।
बांग्लादेश 1971 में पाकिस्तान के विरूद्ध मुक्ति संग्राम के दौरान युद्ध अपराधों के लिए कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी के प्रमुख मोतिउर रहमान निजामी को फांसी देने की तैयारी में है। शीर्ष अदालत द्वारा मृत्युदंड की सजा बरकरार रखने के बाद अधिकारियों ने आज 72 वर्षीय निजामी को फांसी का आदेश दिया।
भारतीय जनता पार्टी में जहां 75 साल से ज्यादा की उम्र वाले नेताओं को राजनीति से रिटायर करने की बात प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह कर चुके हैं, वहीं इस बार के विधानसभा चुनाव में कई राज्यों में विभिन्न पार्टियों के वयोवृद्ध नेता मैदान में उतर रहे हैं। वाममोर्चा और कांग्रेस में कई उम्मीदवार ऐसे हैं, जो 80 साल से ज्यादा की उम्र के हैं। केरल से माकपा के वयोवृद्ध नेता वीएस अच्युतानंदन मैदान में हैं, जो 92 साल के हैं। बंगाल वाममोर्चा के कई ऐसे नेता हैं, जो 75 पार कर चुके हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु 90 साल से ज्यादा की उम्र तक राजनीति में सक्रिय रहे। दोनों राज्यों में कांग्रेस के भी कई नेता ऐसे हैं, जो उम्र के आठवें पड़ाव में पहुंच चुके हैं।
रेडियो पर एक गाना बहुत बजता है- ‘चेहरा न देखो, चेहरे ने लाखों को लूटा।’ यों यह गीत प्यार-मोहब्बत से जुड़ा है। लेकिन नेताओं-मंत्रियों के लिए इन शब्दों के अलग-अलग अर्थ लगाए जाते हैं। भोली भाली जनता चेहरे और वायदे पर वोट दे देती है। फिर खून-पसीने की मेहनत की कमाई का एक हिस्सा टैक्स के रूप में सरकारी खजाने को देती है। इसी सरकारी खजाने की रकम से सरकार में बैठे प्रभावशाली नेता-मंत्री अपना चेहरा चमकाए रखना चाहते हैं।