वैकल्पिक चिकित्सा को आगे बढ़ाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की योजना को आयुष मंत्रालय के ही कुछ अफसरों ने पलीता लगा दिया है। इन अफसरों की कारगुजारियों का ही नतीजा है कि आयुर्वेद, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी की दवाओं के मानकीकरण का काम चार साल से ठप पड़ा है। इसके बावजूद आयुर्वेदिक फार्माकोपिया कमेटी के चेयरमैन को तीन साल का एक्सटेंशन दे दिया गया है।
गुजरात के अहमदाबाद में भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के सहयोग से लगी आयुर्वेद और प्राकृतिक उत्पाद प्रदर्शनी में राजनैतिक स्वास्थ्य की भी झलक देखने को मिल रही है। ऐन प्रवेश द्वार पर लगे पोस्टर में भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) का चेहरा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ लगा हुआ है। इससे संकेत मिल रहे हैं कि शायद दोनों के बीच की बर्फ पिघल रही है।
योग गुरू रामदेव नेपाल में कथित निवेश को लेकर विवादों में फंस गए हैं क्योंकि मीडिया की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पतंजलि आयुर्वेद समूह ने बिना आधिकारिक मंजूरी के भारत के पड़ोसी देश में 150 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने पतंजलि आयुर्वेद के 2 हजार करोड़ रुपये के प्रॉजेक्ट को मंजूरी दे दी है, जिसमें यमुना एक्सप्रेसवे पर 450 एकड़ में फैला फूड पार्क भी शामिल है। पतंजलि ग्रेटर नोएडा में 1,500 करोड़ रुपये की लागत से एग्रो-प्रॉसेसिंग प्लांट लगाने वाली है। इसके लिए 450 एकड़ जमीन को चिन्हित किया गया है जिसे पतंजलि आयुर्वेद खरीदेगी।
राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस पर कांस्टीट़यूशन क्लब स्थित मावलंकर हाल के परिसर में आयुर्वेद प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। अखिल भारतीय आयुर्वेद महासम्मेलन द्वारा आयोजित प्रदर्शनी में आयुर्वेद औषधियों की कारोबारी कंपनियों ने लोगों को सेहत बेहतर रखने के मुख्य नुस्खे दिए। प्रदर्शनी में लगे स्टॉल देखकर लोगों को भारतीय योग और आयुर्वेद के संबंध में जानकारी मिली। आयुष मंत्रालय भारत सरकार ने भी प्रदर्शनी के आयोजन में सहयोग दिया।