मद्रास उच्च न्यायालय ने एक अहम फैसले में कहा है कि बाल विवाह रोकने संबंधी कानून मुस्लिम पर्सनल लॉ के खिलाफ नहीं है तथा यह पर्सनल लॉ पर भी लागू होगा क्योंकि यह लड़कियों के कल्याण के लिए बनाया गया है।
यह आम बात हो गई है कि भारत के राजनीतिज्ञ कठोर राजनीतिक फैसले लेने से कतराते हैं और उन्हें अदालत के भरोसे छोड़ देते हैं। राजनैतिक, कार्यकारी और विधायी जिम्मेदारियों से यह पलायन ही न्यायिक सक्रियतावाद को जन्म देता है।
कालाधन और विदेशों में रखी अवैध संपत्ति का पता लगाने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को एक विधेयक के मसौदे को मंजूरी दे दी जिसमें इस तरह का अपराध करने वाले को दस साल तक के कठोर कारावास की सजा देने सहित कई कड़े प्रावधान किए गए हैं।
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के कार्यालय में कथित जासूसी के मामले में दिल्ली पुलिस ने अपनी सफाई पेश की है। पुलिस ने कहा कि राहुल गांधी के में पुलिसकर्मी का जाना शख्सियतों से जुड़े रहने की एक नियमित कवायद है और इसके पीछे कोई दुर्भावना नही थी।
सरकार के भूमि अधिग्रहण कानून की सराहना कर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने यह जता कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसलों का अमूमन संघ साथ देगा। क्योंकि संघ जम्मू-कश्मीर में पीडीपी के रूख की आलोचना तो कर रहा है लेकिन देशहित में भाजपा के फैसले को सही ठहरा रहा है।
अमेरिका की एक शीर्ष कारोबारी संस्था ने भारत में बीमा कानून (संशोधन) विधेयक को मंजूरी मिलने की प्रशंसा करते हुए कहा है कि इस तरह के कानून से निवेश को बढ़ावा मिलेगा, रोजगार पैदा होंगे और वित्तीय स्थिरता आएगी।
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मान लिया है कि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भूमि अधिग्रहण कानून लाए जाने के कारण उनकी पार्टी इसका विरोध नहीं कर पाई थी।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को केंद्र और दिल्ली सरकार से विचाराधीन कैदियों की रिहाई पर जवाब मांगा है। ये वे कैदी हैं जो अपने ऊपर आरोपों की अधिकतम सजा की आधी अवधि जेल में बिता चुके हैं।
सूचना के अधिकार कानून के क्रियान्वयन पर अभी चार अध्ययन आए हैं। दो गैर सरकारी, परिवर्तन और सूचना के जनाधिकार पर राष्ट्रीय अभियान द्वारा, और दो सरकारी, केंद्रीय सूचना आयोग की कमेटी और स्वयं भारत सरकार के कार्मिक मंत्रालय द्वारा। सभी की रिपोर्ट के अनुसार सूचना का अधिकार सक्षमता से लागू करने में मुख्य बाधा अपर्याप्त क्रियान्वयन, कर्मचारियों के प्रशिक्षण का अभाव और खराब दस्तावेज प्रबंधन है। किसी ने फाइल देखने की नोटिंग की मांगों और खिझाऊ तथा तुच्छ आवेदनों के कारण नहीं माना है। फिर भी कार्मिक मंत्रालय नौकरशाही के दबाव में इनसे संबंधित लाना चाहता है तो उसकी मंशा पर शक होता है वही कार्मिक मंत्रालय जिसका अपना अध्ययन बताता है कि अभी देश के सिर्फ 15 प्रतिशत लोगों को सूचना के अधिकार के कानून की जानकारी है और 85 प्रतिशत लोगों को नहीं। यानी नौकरशाही अभी भी सिर्फ 15 प्रतिशत भारतीयों के प्रति जवाबदेह होने से भी कतरा रही है। और परिवर्तन की रिपोर्ट के अनुसार इन 15 प्रतिशत में सिर्फ एक-चौथाई यानी 27 फीसदी ही संतोषप्रद सूचना हासिल कर पाते हैं।