दुनिया के किस मुल्क में हंसने-हंसाने पर रोक हो सकती है? कम्युनिस्ट चीन हो या इस्लामी देश ईरान और पाकिस्तान रंगमंच, सिनेमा में सामाजिक मुद्दों-व्यक्तित्वों पर हास्य-व्यंग्य प्रभावशाली होता है।
गंगा हिमालय से निकलती है, लेकिन सागर तक पहुंचने में बहुत रोड़े आते हैं। केंद्र और राज्य सरकारें लगभग तीस वर्षों से गंगा को पवित्र बनाए रखने के लिए हजारों करोड़ खर्च कर चुकी हैं, लेकिन ‘पुण्यलाभ’ नहीं मिल पा रहा है। गंगा अधिक मैली होती गई है। गंगा किनारे बसे शहरों की तरक्की के साथ मोहल्ले का कचरा, मल-मूत्र ही नहीं औद्योगिक बस्तियों के जहरीले रसायनों से गंगा को अपवित्र एवं प्रदूषित किया गया। अब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सरकार की नमामि गंगे योजना में फंड जारी करने पर रोक लगा दी है। ट्रिब्यूनल इस बात से खफा हुआ कि उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की सरकारों ने गंगा में प्रदूषण से जुड़े सवालों पर स्पष्ट जवाब तक नहीं दिए।
विश्व हिंदू परिषद ने ऐलान किया है कि सवा लांख गांवों में नए मंदिरों का निर्माण होगा। इस बार रामनवमी से यह काम शुरू हो जाएगा। घोषणा उत्तर प्रदेश में की गई है, लेकिन लक्ष्य देश भर के गांवों का है।
विश्व हिंदी दिवस (10 जनवरी) उत्साह से मन गया। विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज ने हिंदी को प्रतिष्ठित करने के लिए अपने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृढ़ संकल्प के उद्बोधन से समारोह में उपस्थित हिंदी प्रेमियों को प्रसन्न कर दिया। तालियां बजी। विदेश मंत्रालय और केंद्रीय हिंदी संस्थान द्वारा परदेसियों को हिंदी का ज्ञान बांटने और दूतावासों-उच्चायोगों में हिंदी का प्रयोग बढ़ाने के प्रयास का स्वागत ही होना चाहिए। भारत में रहकर केवल पांच महीने में अच्छी हिंदी सीख चुकी रूसी छात्रा सुवमोनिया ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कविता धारा-प्रवाह सुना कर सबको प्रभावित कर दिया।
आलोक कुमार और जितेन्द्र कुमार को नीति आयोग में पांच साल के लिए सलाहकार नियुक्त किया गया है। ये नियुक्तियां शनिवार से प्रभावी हो गई हैं। आलोक उत्तर प्रदेश कैडर के 1993 बैच के आईएएस अधिकारी हैं, जबकि जितेंद्र उत्तराखंड कैडर के 1987 बैच के भारतीय वन सेवा के अधिकारी हैं।
दिल्ली के अफसरों की लगाम किसके हाथ में रहेगी, इस मुद्दे पर दिल्ली सरकार और उप राज्यपाल के बीच टकराव तेज होता जा रहा है। बुधवार को दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया और आम आदमी पार्टी के नेता आशुतोष ने दिल्ली में ट्रांसफर-पोस्टिंग इंडस्ट्री पर निशाना साधा है। सिसौदिया का कहना है कि ईमानदार अफसरों की नियुक्ति से ट्रांसफर इंडस्ट्री चलाने वाले लोगों को दर्द हो रहा है। इस मसले में उन्होंने रिटायर्ड आईएएस अफसरों को भी आड़े हाथों लिया है।
निष्पक्ष और निर्भीक पत्रकारिता का पालन भारतीय राजनीतिक, सामाजिक तथा आर्थिक परिस्थितियों में सदा कठिन रहा है। महात्मा गांधी, तिलक या पराड़र और गणेश शंकर विद्यार्थी के युग से तुलना करना उचित नहीं होगा, लेकिन आजादी के बाद भारतीय पत्रकारिता में अलग तरह की चुनौतियां रही हैं। इस दृष्टि से विनोद मेहता ने पिछले 42 वर्षों में भारतीय पत्रकारिता में नए प्रयोगों के साथ निष्पक्ष एवं प्रोफेशनल मानदंड स्थापित किए।
सन 2002 में कौन कल्पना कर सकता था कि अमेरिका में एक अश्वेत नेता राष्ट्रपति बन सकेगा? भारत में किसने सोचा होगा कि गुजरात के घृणित दंगों की पृष्ठïभूमि के बावजूद प्रदेश के नवोदित नेता नरेंद्र मोदी 2014 में प्रधानमंत्री बन सकते हैं?