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चर्चाः षडयंत्रों का सिरदर्द | आलोक मेहता

चर्चाः षडयंत्रों का सिरदर्द | आलोक मेहता

सिंहासन के लिए महाभारत और रामायण युग के षडयंत्रों की कहानियां भारत के गौरवशाली इतिहास के साथ सुनाई-पढ़ाई जाती रही हैं। इसलिए अरविंद केजरीवाल और नरेंद्र मोदी को षडयंत्रों की सूचनाओं पर क्या अधिक चिंतित होकर जनता के दरबार में गुहार लगानी चाहिए?
विरोध के बीच छुट्टी पर गए पचौरी,  टेरी संचा‌लन समिति बैठक करेगी

विरोध के बीच छुट्टी पर गए पचौरी, टेरी संचा‌लन समिति बैठक करेगी

द एनर्जी एंड रिसोर्स इंस्टीट‍्यूट (टेरी) के कार्यकारी उपाध्यक्ष पद पर अपनी नियुक्ति को लेकर जारी विरोध के बीच आर. के. पचौरी शुक्रवार को छुट्टी पर चले गए। वह सात मार्च को टेरी विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में भी हिस्सा नहीं लेंगे क्योंकि छात्रों के एक समूह ने उनसे डिग्री लेने से इनकार कर दिया है। वहीं, इस हरित संस्था ने विरोध के बढ़ते स्वर को देखते हुए उनकी पुनर्नियुक्ति की समीक्षा के लिए शुक्रवार को संचालन परिषद की बैठक बुलाई है।
इंदिरा जैसा हो सकता है मोदी सरकार का हाल: यशवंत सिन्‍हा

इंदिरा जैसा हो सकता है मोदी सरकार का हाल: यशवंत सिन्‍हा

वरिष्ठ भाजपा नेता यशवंत सिन्हा ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आड़े हाथ लेते हुए आरोप लगाया कि इस सरकार में कोई संवाद नहीं हो रहा है। साथ ही उन्होंने कहा कि इस सरकार का हाल इंदिरा गांधी की अगुवाई वाली कांग्रेस की उस सरकार की तरह हो सकता है जिसे आपातकाल के बाद मुंह की खानी पड़ी थी।
इंदिरा अम्मा के नाम पर हर पेट के लिए दाना-पानी- हरीश रावत

इंदिरा अम्मा के नाम पर हर पेट के लिए दाना-पानी- हरीश रावत

फरवरी 2014 में उत्तराखंड के मुख्य‍मंत्री पद की कमान संभालने वाले हरीश रावत राज्य के कद्दावर नेताओं में शुमार किए जाते हैं। लंबे समय के राजनीतिक जीवन में रावत ने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे। उत्तर प्रदेश से अलग होकर उत्तराखंड राज्य बनने के बाद माना जा रहा था कि अगर राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी तो रावत को कमान मिल सकती है। लेकिन सियासी कारणों सेे रावत को देर से राज्य की कमान मिली। साल 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जब सरकार बनी तो विजय बहुगुणा को मुख्य‍मंत्री पद दिया गया। उस समय रावत केंद्र सरकार में मंत्री थे। विजय बहुगुणा को बीच कार्यकाल से ही हटाकर हरीश रावत को राज्य की कमान दी गई। दो साल का कार्यकाल पूरा कर चुके हरीश रावत से विभिन्न मुद्दों पर आउटलुक के विशेष संवाददाता ने देहरादून के बीजापुर गेस्ट हाउस में विस्तार से बातचीत की। पेश है प्रमुख अंश-
कभी नहीं रही प्रधानमंत्री बनने की चाहत: प्रणब मुखर्जी

कभी नहीं रही प्रधानमंत्री बनने की चाहत: प्रणब मुखर्जी

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने लंबे समय से चली आ रही इन अटकलों को सिरे से खारिज कर दिया है कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद वह अंतरिम प्रधानमंत्री बनना चाहते थे। प्रणब ने इन अटकलों को गलत और द्वेषपूर्ण करार दिया है।
दिल्ली एयरपोर्ट के पास दिखा गुब्बारा निकला मौसम विभाग का

दिल्ली एयरपोर्ट के पास दिखा गुब्बारा निकला मौसम विभाग का

दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय (आईजीआई) एयरपोर्ट को बुधवार शाम हवाई अड्डे के करीब एक बड़ा गुब्बारा देखे जाने की सूचना मिलने पर हाई अलर्ट जारी कर दिया गया। हालांकि जांच के बाद वह गुब्बारा मौसम विभाग का निकला।
इंदिरा अम्मा भोजन का और होगा विस्तार- हरीश रावत

इंदिरा अम्मा भोजन का और होगा विस्तार- हरीश रावत

उत्तराखंड सरकार ने महिलाओं की सशक्तिकरण के लिए शुरु की गई योजना इंदिरा अम्मा भोजन का और विस्तार करेगी। प्रदेश के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने आउटलुक से विशेष बातचीत में कहा कि इस योजना से जहां लोगों को पौष्टिक और सस्ता भोजन सुलभ हो रहा हैं वहीं महिलाओं को बड़ी संख्या में रोजगार भी मिल रहा है।
पहली महिला विदेश मंत्री कौन?

पहली महिला विदेश मंत्री कौन?

यह कौन बनेगा करोड़पति का सवाल नहीं है। पर हां सवाल तो है। विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर हिंदी में यदि सुषमा स्वराज का प्रोफाइल देखें तो उसकी पहली पंक्ति है, श्रीमती सुषमा स्वराज विदेश मंत्री भारत की पहली महिला विदेश मंत्री हैं
बिहार: सरकारी साइट पर इंदिरा विरोधी लेख को लेकर विवाद

बिहार: सरकारी साइट पर इंदिरा विरोधी लेख को लेकर विवाद

बिहार सरकार की एक वेबसाइट पर इंदिरा गांधी की आलोचना वाले एक लेख ने विवाद खड़ा कर दिया है। सरकारी वोबसाइट पर छपे इस लेख ने विपक्षी भाजपा और उसके सहयोगी दलों को सत्तारूढ़ गठबंधन के दलों को निशाना बनाने का मौका दे दिया है। हालांकि हंगामा खड़ा होने के बाद वह लेख साइट से हटा लिया गया है।
एक सौम्य राजनेता जिसने कश्मीर की राजनीति बदल दी

एक सौम्य राजनेता जिसने कश्मीर की राजनीति बदल दी

एक गूढ़ वकील से लेकर देश के अब तक के एकमात्र मुस्लिम गृहमंत्री बनने तक का सफर तय करने वाले मुफ्ती मोहम्मद सईद ने एक मंझे हुए राजनीतिक खिलाड़ी की तरह राष्ट्रीय राजनीति और जम्मू-कश्मीर की राजनीति में अपने लिए एक अलग मुकाम बनाया। लगभग छह दशक तक के अपने राजनीतिक जीवन में सईद जम्मू-कश्मीर के ताकतवर अब्दुल्ला परिवार के खिलाफ शक्तिशाली प्रतिद्वंद्वी शक्ति का केंद्र बनकर उभरे। राजनीति के खेल में हमेशा अपने पत्ते छिपाकर रखने वाले सईद अपने राजनीतिक एजेंडे के अनुरूप चलने के लिए विरोधाभासी विचारधाराओं वाले दलों के साथ भी दोस्ती में गुरेज नहीं करते थे।
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