आंध्र प्रदेश के दोंतामुर गांव के एक आंगनवाड़ी केंद्र में विषाक्त भोजन खाने से दो वर्षीय लड़के की मौत हो गई और एक की हालत गंभीर बनी हुई है। यह घटना रंगमपेटा मंडल के जी दोंतामुर गांव में हुई।
अब बाहर होटलों और रेस्तरां में भी शुद्ध शाकाहारी भोजन मिलने लगा है। पहले तेल मसालों की अधिकता, शुद्धता और शाकाहारी भोजन में बहुत अधिक विकल्प न होने से बाहर खाने के कई शौकीन मन मसोस कर रह जाते थे। पर अब ऐसा नहीं है। शाकाहार के बढ़ते चलन ने फिजा बदल दी है।
धीरे-धीरे आदिवासी भोजन खत्म होने की कगार पर पहुंच रहा है। परंपरागत आदिवासी भोजन न मिलनेकी वजह से 54 फीसदी आदिवासी बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। यूनिसेफ और आदिवासी मामलों के मंत्रालय की संयुक्त पड़ताल में सामने आया है कि इसकी मुख्य वजह जंगल संबंधी नई नीतियां हैं, जिनके चलते आदिवासियों को उनके परंपरागत एवं पोषक भोजन से दूर कर दिया गया।
दोपहर के खाने में फास्ट-फूड का चलन बढ़ गया है। मैंने कभी नहीं सुना था कि लोग रात के खाने में पिज्जा खा रहे हैं। इसकी एक वजह वक्त की कमी भी है। होम-डिल्वरी सुविधा ने भी रसोईघर से दूरी बढ़ा दी है।
बाजार अब रेडी-टू-ईट यानि फटाफट खाद्य पदार्थों से भरा पड़ा है। मुंबई का बड़ा-पाव से लेकर कुछ भी घर लाओ, गरम करो और खाओ। फ्रोजन मार्केट यानि बर्फ में जमाई खाद्य सामग्री का बाजार तेजी से बढ़ रहा है।