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Search Result : "इंद्रेश कुमार"

अब क्या करेंगे योगेंद्र-प्रशांत

अब क्या करेंगे योगेंद्र-प्रशांत

आम आदमी पार्टी यानी आप की राजनीतिक मामलों की कमेटी और राष्ट्रीय कार्यकारिणी से निकाले जाने के बाद योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण, प्रो. आनंद कुमार और प्रो. अजीत झा क्या करेंगे? क्या वे चुपचाप पार्टी से बाहर हो जाएंगे या अपने समर्थकों को लेकर नई पार्टी बनाएंगे? आम आदमी पार्टी को कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के विकल्प के तौर पर देखने वालों के सर पर आजकल ये सवाल बेताल की तरह नाच रहे हैं।
बंट गई आम आदमी पार्टी

बंट गई आम आदमी पार्टी

आम आदमी पार्टी आखिर दो गुटों में बंट ही गई। एक गुट मुख्य‍मंत्री अरविंद केजरीवाल के समर्थन में तो दूसरा योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण के समर्थन में। दिल्ली में ऐतिहासिक जीत के बाद पहली बार आयोजित राष्ट्रीय परिषद की बैठक में जो हंगामा हुआ उसकी पटकथा पहले से ही तैयार थी।
केजरीवाल का एक और स्टिंग

केजरीवाल का एक और स्टिंग

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का कथित तौर पर एक और नया स्टिंग सामने आया है। जिसमें केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी के नेता प्रोफेसर आनंद कुमार और अजीत झा को गालियां दी हैं। इससे जाहिर हो रहा है कि आम आदमी पार्टी में झगड़ा और बढ़ता जा रहा है। केजरीवाल ने इस बातचीत में पार्टी के नेताओं को लात मारकर बाहर निकालने की बात भी कर रहे हैं।
केजरीवाल पर तानाशाही का आरोप

केजरीवाल पर तानाशाही का आरोप

आम आदमी पार्टी के नेता प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव ने दिल्ली के मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल पर पार्टी में अंदरूनी लोकतंत्र की अनदेखी करने का आरोप लगाया है। प्रशांत और योगेंद्र ने दिल्ली के प्रेस क्लब में एक प्रेस कांफ्रेंस कर यह बात कही। इन दोनों असंतुष्ट नेताओं के साथ अब पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रोफेसर आनंद कुमार भी खुलकर सामने आ गए हैं। प्रेस कांफ्रेंस के दौरान प्रोफेसर कुमार भी मौजूद थे।
नीतीश ने मोदी से हाथ मिला ही लिया

नीतीश ने मोदी से हाथ मिला ही लिया

राजनीतिक दुश्मनी छोड़ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हाथ मिला ही लिया। इससे पहले बिहार में राजनीतिक समीकरण के चलते नीतीश मोदी से मिलना नहीं चाहते थे। 34 महीनों बाद मोदी और नीतीश की मुलाकात में बिहार के विकास को लेकर चर्चाएं हुई।
अनिल करमेले की कविताएं

अनिल करमेले की कविताएं

2 मार्च 1965 को छिन्दवाड़ा, मध्यप्रदेश में जन्मे कवि अनिल करमेले की कविताएं सभी महत्वपूर्ण पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई है। पहल, हंस, ज्ञानोदय, वागार्थ, वसुधा, कथादेश, जनसत्ता, इंडिया टुडे, शुक्रवार, पब्लिक एजेंडा, दैनिक हिन्दुस्तान, नई दुनिया, लोकमत समाचार, भास्कर आदि में वह प्रमुखता से छपे हैं। साथ ही लेख एवं समीक्षाएं भी प्रकाशित हुई हैं। ‘ईश्वर के नाम पर’ उनकी पहली किताब प्रकाशित हुई थी। इसी पुस्तक पर उन्हें मध्य प्रदेश साहित्य अकादेमी का "दुष्यंत कुमार" पुरस्कार मिला। फिलवक्भात वह भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) के अंतर्गत महालेखाकार लेखापरीक्षा कार्यालय में सेवारत हैं।
राज्यसभा में खान और खनिज विधेयक को मंजूरी

राज्यसभा में खान और खनिज विधेयक को मंजूरी

काफी विवादों और तकरार के बाद खान एवं खनिजों के मामले में राज्यों को और अधिक अधिकार देने वाले चर्चित विधेयक को राज्यसभा की मंजूरी मिल गई। कांग्रेस एवं वाम दलों को छोड़कर अधिकतर पार्टियों ने इसका समर्थन किया जबकि जदयू ने यह कह कर वाकआउट किया कि वह इस प्रक्रिया का हिस्सा नहीं बनना चाहता है।
पेनसिल्वेनिया यूनीवर्सिटी में भारतीय प्रोफेसर बने डीन

पेनसिल्वेनिया यूनीवर्सिटी में भारतीय प्रोफेसर बने डीन

विजय कुमार 2012-14 के दौरान व्हाइट हाउस के ऑफिस ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी पॉलिसी में रोबोटिक्स एवं साइबर भौतिक प्रणाली के सहायक निदेशक के तौर पर काम कर चुके हैं। अब वह पेन इंजीनियरिंग के अगले डीन होंगे।
क्या भारत में ईमानदारी की सजा मौत हो गई है

क्या भारत में ईमानदारी की सजा मौत हो गई है

बेंगलूरू में आइएएस अफसर डीके रवि की मौत ने कई सवाल पैदा किये हैं। रवि की छवि एक ईमानदारी अधिकारी की थी। उनकी सख्ती की वजह से रेता और खनन माफिया के लिए मुश्किलें खड़ी हो गई थीं। माना जा रहा है कि उनकी हत्या के पीछे भी माफिया का हाथ है। इससे पहले भी उत्तर प्रदेश के मंजूनाथ और नरेंद्र कुमार सिंह समेत देश के कई राज्यों में ईमानदार अफसर अपनी जान गंवा चुके हैं। कुछ को अपनी ईमानदारी की वजह से दूसरी मुश्किलें झेलनी पड़ती हैं। जिस तरह से भारत में भ्रष्टाचार संस्थागत रूप लेता जा रहा है इसने ईमानदार और उसूल वाले लोगों का जीना दूभर कर दिया है।
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