चुनाव आयोग ने आज आपराधिक मामलों में विधि निर्माताओं को दोषी ठहराए जाने पर उन्हें तुरंत अयोग्य घोषित करने की मांग का समर्थन किया लेकिन उच्चतम न्यायालय से कहा कि चुनाव संबंधी कानून के प्रावधान इस तरह का उपाय करने में रोड़ा हैं।
पठानकोट आतंकी हमले के कवरेज को लेकर सरकार की ओर से एनडीटीवी इंडिया के प्रसारण पर नौ नवंबर को एक दिन के लिए लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ चैनल ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।
वर्ष 1984 के सिख विरोधी दंगों की 32वीं बरसी पर राजस्थान उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अनिल देव सिंह ने कहा है कि कर्तव्य की उपेक्षा करने वाले और दंगाइयों पर आंखें बंद कर लेने वाले सरकारी अधिकारियों को हिंसा में सहायता करने वाला घोषित किया जाना चाहिए।
उच्चतम न्यायालय ने व्यवस्था दी है कि चुनाव में प्रत्याशियों की शैक्षणिक योग्यता के बारे में जानकारी प्राप्त करना मतदाताओं का मौलिक अधिकार है और इस संबंध में कोई भी गलत घोषणा नामांकन पत्र अस्वीकार करने का आधार बन सकता है।
देश के प्रधान न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर ने आज कहा कि न्यायिक नैतिकता के साथ कभी भी समझौता नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि असामान्य घटनाओं से पूरी न्याय प्रणाली की छवि खराब हो सकती है। इसके साथ ही उन्होंने न्यायाधीशों से कहा कि उन्हें उनकी सत्यनिष्ठा के बारे में लोगों की धारणा के बारे में आत्मचिंतन करना चाहिए।
न्यायिक नियुक्तियों में विलंब को लेकर उच्चतम न्यायालय की फटकार के बाद सरकार ने कहा है कि इसने उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की मंजूर संख्या को 906 से बढ़ाकर 1079 कर दिया है। सरकार ने कहा है कि राजग सरकार के शासनकाल में उच्च न्यायालयों में खाली पदों में असामान्य बढ़ोतरी नहीं हुई है।
हाजी अली दरगाह ट्रस्ट ने आज उच्चतम न्यायालय को बताया है कि पुरूषों की ही तरह महिलाओं को भी मुंबई स्थित हाजी अली दरगाह के मुख्य स्थान पर प्रवेश दिया जाएगा। इसके साथ ही ट्रस्ट ने जरूरी अवसंरचनात्मक बदलाव करने के लिए चार सप्ताह का समय मांगा है।
तमिलनाडु में कावेरी मुद्दे पर किसानों और विपक्षी दलों ने केंद्र से तुरंत कावेरी प्रबंधन बोर्ड (सीएमबी) की स्थापना की मांग करते हुए विभिन्न जगहों पर रेलो को रोक कर धरना और प्रदर्शन किया।
एक साथ तीन बार तलाक बोलने को लेकर चल रहे विवाद के बीच केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आज कहा कि सरकार का विचार स्पष्ट है कि पर्सनल लॉ संविधान के दायरे में हों और उन्हें लैंगिक समानता एवं सम्मानपूर्वक जीवन जीने के अधिकार के नियमों के अनुरूप होना चाहिए।