अगर आपको लगता है कि मां कसम जैसे संवाद सिर्फ गरम धरम को ही कहने का अधिकार है तो आप गलत हैं। एकता कपूर ने भी टीवी की कसम खाई है कि वह टीवी को 11 बजे से पहले बंद नहीं होने देंगी।
राजस्थान के रहने वाले नकुल शर्मा काफी परेशान हैं। इस दफा उन्हें संसद से काफी उम्मीद थी कि धारा 377 से संबंधी विधेयक पर जरूर कुछ न कुछ होगा। आखिरकार सर्वोच्च न्यायालय ने गेंद संसद के पाले में डाली है। लेकिन कांग्रेसी नेता शशि थुरूर का विधेयक पटल तक पर नहीं आ सका। इस संबंध में नकुल शर्मा की परेशानी यह है कि वह गे यानी समलैंगिक हैं। उनका कहना है कि उन्हें लैंगिक अल्पसंख्यक का दर्जा चाहिए। अपनी कहानी के जरिये नकुल बताते हैं कि बलात्कार सिर्फ मर्द औरत के बीच नहीं होता है बल्कि उनके जैसे असंख्य लोगों के साथ होता है तो कोई कानून नहीं है जो उन्हें न्याय दिलवा सके।
राजद के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन और तीन अन्य दोषियों को बिहार के सीवान जिले में 11 वर्ष पहले तेजाब डालकर दो भाइयों की नृशंस हत्या के मामले में एक जिला अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
मास्को की मुलाकात कोई औपचारिक इंटरव्यू नहीं थी। न ही यह लुक-छिपकर की गई कोई भेंट थी। बढ़िया बात यह थी कि हमारा मिलना किसी सतर्क, कूटनीतिक, औपचारिक एडवर्ड स्नोडेन से नहीं हुआ। अफसोस की बात यह है कि कमरा नंबर 1001 में हुए मजाकों, हास्य और मसखरेपन को उसी तरह व्यक्त नहीं किया जा सकता।
नए जमाने की कहानियां अब इतने नए जमाने की हो गई हैं कि यह फिल्में सिर्फ एक खास पीढ़ी को ही अच्छी लग सकती हैं। प्यार का पंचनामा का पहला भाग भी ठीक ठाक चल गया था तो इसका सीक्वेल भी अच्छा चल जाने की पूरी उम्मीद है। पूरे देश के विश्वविद्यालय के छात्र भी अगर इस फिल्म को देख लेंगे तो निर्माता के पूरे पैसे वसूल हो जाएंगे।
अगर आपको खुद को अपने पचासवें जन्मदिन पर कोई तोहफा देना होगा तो क्या देंगे। कोई गाड़ी, घर या कोई विदेश यात्रा। लेकिन यदि आप मिलिंद सोमण की तरह कुछ करना चाहें तो आपको कुछ अलग करना होगा।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपनी बढ़ती उम्र का हवाला देते हुए कहा कि मैं धीरे-धीरे उम्र दराज हो रही हूूं। सोमवार को सोनिया गांधी ने इफ्तार पार्टी दिया था जिसमें राजनीति के दिग्गजों का जमावड़ा लगा हुआ था। इस दौरान बातचीत में सोनिया गांधी ने अपनी बढ़ती उम्र का हवाला दिया।
हमारी सरकार यह कहकर जनता का समर्थन जुटा रही है कि नया किशोर न्याय विधेयक 16 से 18 साल के उन बच्चों के लिए है जो वयस्कों की तरह जघन्य अपराध को अंजाम देते हैं लेकिन इसमें उसी पहलू को नजरअंदाज कर दिया गया है जिसके लिए यह विधेयक बनाने का सुझाव दिया गया था।