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हेराल्ड मामला : एजेएल ने 21 जनवरी को बुलाई बैठक

हेराल्ड मामला : एजेएल ने 21 जनवरी को बुलाई बैठक

नेशनल हेराल्ड मामले को लेकर जारी सियासी हलचल के बीच एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) ने आने वाले 21 जनवरी को लखनऊ में अपने शेयरधारकों की आम सभा बुलाई है। एजेएल ने यह बैठक कंपनी के स्वरूप को व्यवसायिक से गैर-लाभकारी में तब्दील करने पर शेयरधारकों की रजामंदी हासिल करने के उद्देश्य से बुलाई की है।
कवर स्‍टोरी: डूबा अखबार ले रहा कांग्रेस की खबर

कवर स्‍टोरी: डूबा अखबार ले रहा कांग्रेस की खबर

बताया जाता है कि जवाहर लाल नेहरू ने 1938 में अपने शुरू किए गए अखबार नेशनल हेराल्ड के कर्मचारियों से एक बार कहा था, हमें बनियागिरी नहीं आई। यदि सुब्रह्मण्यम स्वामी की कोशिशें सिरे चढ़ीं तो माना जाएगा कि शायद नेहरू के उत्तराधिकारी इस कला को सीख चुके हैं।
नेशनल हेराल्‍ड: शांतिभूषण बढ़ाएंगे सोनिया-राहुल की मुश्किलें

नेशनल हेराल्‍ड: शांतिभूषण बढ़ाएंगे सोनिया-राहुल की मुश्किलें

नेशनल हेराल्‍ड मामले में पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी की मुसीबतें बढ़ा सकते हैं।
बुकर जीत जमैका  के मार्लोन जेम्स ने रचा इतिहास

बुकर जीत जमैका के मार्लोन जेम्स ने रचा इतिहास

जमैका के लेखक मार्लोन जेम्स को उनकी किताब 'ए ब्रीफ हिस्टी ऑफ सेवन किलिंग्स' के लिए वर्ष 2015 का प्रतिष्ठित मैन बुकर पुरस्कार प्रदान किया गया है। जमैका के साहित्यिक इतिहास में पहली बार किसी साहित्यकार ने यह पुरस्कार जीता है।
शत्रुघ्न ने मांझी के बहाने डीएनए वाले बयान पर साधा निशाना

शत्रुघ्न ने मांझी के बहाने डीएनए वाले बयान पर साधा निशाना

भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा अपने ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधने में नहीं चूक रहे। पिछले कुछ दिनों से नीतीश कुमार के संग नजदीकियां बढ़ा रहे शत्रुघ्न ने इस बार मांझी द माउंटेन मैन फिल्म के बहाने नरेंद्र मोदी के डीएनए वाले बयान पर निशाना साधा है।
सच्ची प्रेम कहानी मांझी की

सच्ची प्रेम कहानी मांझी की

सच्ची घटनाओं को परदे पर उतारना अपने आप में मुश्किल काम है। वास्तविक चरित्र के बारे में दर्शकों की जानकारी कुछ ज्यादा ही होती है और वे फिल्म देखते वक्त भूल जाते हैं कि घटनाओं को परदे पर उतारने के लिए नाटकीयता का सहारा लेना जरूरी होता है। मांझी- द माउंटेन मैन इसी का उदाहरण है।
उत्तर प्रदेश में ‘मांझी’ का कर माफ

उत्तर प्रदेश में ‘मांझी’ का कर माफ

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक आम आदमी के चट्टानी इरादों को दर्शाती फिल्म मांझी - द माउंटेन मैन को राज्य में मनोरंजन कर से मुक्त करने का फैसला किया है।
मुझ से पहले माउंटेन मैन दशरथ मांझी को मिले अवार्ड

मुझ से पहले माउंटेन मैन दशरथ मांझी को मिले अवार्ड

साधरण कद-काठी, साधारण चेहरा-मोहरा। सांवली रंगत लेकिन जन्मजात सहज अभिनय करने की कुशलता। यह हैं, मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश के छोटे से कस्बे बुढाना में जन्में और पले-बढ़े नवाजुद्दीन सिद्दीकी। नवाजुद्दीन किसी बड़े फिल्मी परिवार से नहीं हैं, न ही उनका बॉलीवुड में कोई गॉडफादर रहा। अपने दम पर नाम और शोहरत कमाने वाले नवाजुद्दीन के लिए यह सब बहुत आसान नहीं था। मुजफ्फरनगर में रहते हुए जहां उनके पास मनोरंजन के लिए टीवी नहीं था, उन्होंने लोक कलाकारों के बीच तमाशा, रामलीला देखते हुए अपना बचपन बिताया। नवाजुद्दीन उन्हीं कलाकारों की तरह होना चाहते थे। वैसे ही बनना चाहते थे। पर कैसे यह उन्हें उस वक्त पता नहीं था। गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार से स्नातक के बाद उन्होंने कई तरह की नौकरियां कीं। यहां तक की चौकीदार की भी। फिर भी अभिनय की भूख थी कि खत्म नहीं हुई थी। विपरीत परिस्थितियों ने उन्हें और मजबूत कर दिया। इसी बीच उन्हें राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के बारे में पता चला और बस अभिनय के गुर सीखने वह यहां चले आए। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में रहते हुए उन्होंने कई नाटकों को करीब से जाना। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से कोर्स पूरा करने के बाद दिल्ली में ही उन्होंने कई नाटक किए और फिर वहीं चले आए, जो अभिनय की दुनिया में स्थापित होने के लिए मक्का है, मुंबई। एक लंबे संघर्ष के बाद खुरदुरे चेहरे वाला यह अभिनेता निर्माता-निर्देशक की पहली पसंद बनता जा रहा है। ब्लैक फ्राइडे, गैंग्स ऑफ वासेपुर, तलाश, बदलापुर, बजरंगी भाईजान के बाद अब सभी की निगाहें उनकी आने वाली फिल्म मांझी- द माउंटेनमैन पर टिकी हुई हैं।
डॉ. कलाम से जुड़े 7 किस्‍से जो हमेशा प्रेरणा देंगे

डॉ. कलाम से जुड़े 7 किस्‍से जो हमेशा प्रेरणा देंगे

डॉ. एपीजे अब्‍दुल कलाम के निधन के साथ देश ने एक महान वैज्ञानिक, दार्शनिक और युवाओं को प्ररेणा से भर देने वाला व्‍यक्तित्‍व खो दिया है। उनकी सादगी और विचारों ने देशवासियों पर अमिट छाप छोड़ी है। उनके जीवन से जुड़ी कई ऐसी घटनाएं हैं, जो जिंदगी के प्रति उनके नजरिए और सोच को जाहिर करते हुए हमेशा प्रेरणा देती रहेंगी।
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