इससे पहले जनवरी-मार्च तिमाही के दौरान अर्थव्यवस्था की विकास दर 6.1 फीसदी रही थी। अर्थशास्त्री जीडीपी ग्रोथ में गिरावट की मुख्य वजह नोटबंदी को मान रहे हैं।
अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर चुनौतीपूर्ण हालात का अंदाजा सोमवार को जारी हुए सरकारी आंकड़े से लगाया जा सकता है, जिसके अनुसार आठ बुनियादी उद्योग की विकास दर घटकर महज 0.4 फीसदी पर रह गई है जो एक साल पहले यह 7 फीसदी थी।
सरकार ने वित्त वर्ष 2017 में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) ग्रोथ के अनुमान के आंकड़े जारी कर दिए हैं। वित्त वर्ष 2016-17 में जीडीपी वृद्धि दर 7.1 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है जबकि वर्ष 2015-16 में यह 7.6 फीसदी पर थी। गौर हो कि पिछली क्रेडिट पॉलिसी में आरबीआई ने भी ग्रोथ की रफ्तार के अनुमान को 0.5 फीसदी घटाकर 7.1 फीसदी कर दिया था। 7.1 फीसदी विकास दर का अनुमान पिछले 3 साल का निचला स्तर है।
वैज्ञानिकों ने एक ऐसे प्रोटीन का पता लगाया है जो मनुष्यों में रीढ़ की हड्डी की चोट से उबरने में अहम साबित हो सकता है और नष्ट हुए उत्तकों की मरम्मत की चिकित्सकीय पद्धति के लिए अहम हो सकता है।
देश में कारोबार की परिस्थितियों में सुधार के साथ विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर अगस्त में 13 माह के उच्चतम स्तर पर पहुंच गयी। कंपनियों के मैनेजरों के बीच कराए जाने वाले एक प्रतिष्ठित मासिक सर्वे से यह बात सामने आयी है।
भारतीय अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष में 7.6 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल कर सकती है जो पांच वर्ष की सबसे तेज विकास दर होगी। इसके साथ ही भारत इस मामले में चीन से ऊपर होगा जो नरमी से गुजर रहा है। इस तेजी में विनिर्माण और कृषि क्षेत्र का महत्वपूर्ण हाथ है जिनका प्रदर्शन अपेक्षाकृत अच्छा चल रहा है।
क्या गंगाजल को खास बनाने के पीछे इसमें मौजूद किसी विशेष एक्स फैक्टर का योगदान है? गंगा निश्चित तौर पर भारत की सबसे पवित्रतम नदियों में से एक है और अनंतकाल से इसके जल को इसके जादुई गुणों के लिए जाना जाता है। इसी खूबी के चलते यदि गंगाजल वर्षों तक रखा जाए, तो भी यह खराब नहीं होता। इसे इस नदी का आत्म-शोधन का गुण कहा जाता है। भारतीय वैज्ञानिक इसी रहस्य से पर्दा उठाने की कोशिश में जुटे हैं।
जुगाड़ के जरिये फौरी तौर पर किसी समस्या के समाधान की प्रवृत्ति की आलोचना करते हुए रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि सतत वृद्धि के लिए मजबूत संस्थागत प्रणाली होना जरूरी है।
अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर मोदी सरकार को झटका लगा है। ताजा आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) के दौरान सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी की विकास दर घटकर 7 फीसदी रह गई है। जबकि इससे पहली तिमाही (जनवरी-मार्च) में यह आंकड़ा 7.5 फीसदी तक पहुंच गया था।