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चर्चा : जनमत संग्रह के भूत का मोह। आलोक मेहता

चर्चा : जनमत संग्रह के भूत का मोह। आलोक मेहता

ब्रिटेन पर कब कितना असर होगा, कोई नहीं बता सकता। लेकिन जनमत संग्रह के हिंदुस्तानी प्रवर्तक अरविंद केजरीवाल ‘भूत-चुड़ैल-आत्मा’ को जगाने-बुलाने के तमाशे में माहिर हैं। वह पिछले दो वर्षों के दौरान ‘जनमत संग्रह’ शैली में डेढ़ करोड़ की आबादी में से डेढ़ लाख के नाम पर बटन दबवाकर अपना फरमान जारी करते रहे हैं।
दो साल तक यूरोपीय यूनियन से बंधा रहेगा इंग्लैंड

दो साल तक यूरोपीय यूनियन से बंधा रहेगा इंग्लैंड

यूरोपीय यूनियन से अलग होने के लिए इंग्लैंड में कराए गए जनमत संग्रह के कई प्रभाव दिखने लगे हैं। दुनिया भर में शेयर मार्केट लुढ़क रहे हैं। वैश्विकरण की चूलें हिलने की बातें उठ रही हैं। लेकिन कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में पब्लिक लॉ के प्रोफेसर और हाउस ऑफ लॉड्सर् में संविधान पर स्थाई समिति के कानून सलाहकार मार्क इलियट के अनुसार, तकनीकी तौर पर अगले दो साल तक इंग्लैंड और यूरोपीय यूनियन की स्थितियों में कोई फर्क नहीं पड़ने वाला।
जानिए, यूरोपीय यूनियन से ब्रिटेन के अलग होने पर भारत को क्‍या नुकसान होगा

जानिए, यूरोपीय यूनियन से ब्रिटेन के अलग होने पर भारत को क्‍या नुकसान होगा

ब्रिटेन 28 देशों के यूरोपीय यूनियन से अलग होने की राह पर है। इस अलगाव के बाद भारत और दुनिया की अर्थव्‍यस्‍था पर व्‍यापक असर पड़ने लगा है। दुनिया भर के बाजार गिरने का खतरा मंडरा रहा है। भारतीय शेयर बाजार में प्री ओपनिंग में सेंसेक्स 900 अंक तक गिर गया है। निफ्टी में भी 300 अंक की गिरावट दर्ज की गई है। रुपया भी डॉलर के मुकाबले 68 रुपए के स्‍तर से अधिक हो गया है। ब्रिटेन की मुद्रा पाउंड 30 साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है।
ब्रिटेन यूरोपीय संघ से बाहर निकलेेगा, प्रधानमंत्री कैमरन देंगे इस्तीफा

ब्रिटेन यूरोपीय संघ से बाहर निकलेेगा, प्रधानमंत्री कैमरन देंगे इस्तीफा

ब्रिटेन में यूरोपीय संघ :ईयू: को लेकर हुये एेेतिहासिक जनमत संग्रह में हार के बाद प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने शुक्रवार को अपने इस्तीफे की घोषणा कर दी। ब्रिटेन ने 28 देशों के संगठन यूरोपीय संघ :ईयू: से बाहर निकलने :ब्रेक्जिट: के पक्ष में मतदान किया है। कैमरन ब्रिटेन के ईयू में बने रहने के पक्ष में थे। इस फैसले से जहां एक तरफ वैश्विक बाजारों में उठापटक की स्थिति रही वहीं ईयू से अलग होने के बाद ब्रिटेन में आव्रजन और अन्य मुद्दों पर भी सवाल उठने लगे हैं।
चर्चाः दुनिया में ‘एकला चलो’ का खेल | आलोक मेहता

चर्चाः दुनिया में ‘एकला चलो’ का खेल | आलोक मेहता

ब्रिटेन के जनमत संग्रह में बहुमत ने यूरोपीय समुदाय से अलग होने का फैसला किया। यूं लगभग 48 प्रतिशत जनता समुदाय में रहने के पक्ष में थी, लेकिन लोकतंत्र में एक हजार हो या दस लाख, मतों का पलड़ा भारी होने पर विजयी सिकंदर हो जाता है।
ईयूू से अलग होने के लिए ब्रिटेन में जनमत संग्रह, कहीं मुसलमानों का डर तो नहीं

ईयूू से अलग होने के लिए ब्रिटेन में जनमत संग्रह, कहीं मुसलमानों का डर तो नहीं

आर्थिक रुप से जुड़े यूरोप के देशों के संगठन यूरोपीय यूनियन से अलग होने के लिए ब्रिटेन में जनमत संग्रह हो रहा है। मीडिया में खबर आ रही है कि मुसलमानों के डर की वजह से भी इस तरह का जनमत संग्रह कराया जा सकता है। जनता के फैसले के बारे मेंं शुक्रवार को पता चलेगा। सबसे बड़ा सवाल है कि ब्रिटेन जमनत संग्रह क्यों करा रहा है। जानकारों का कहना है कि मुस्लिम प्रवासियों की बढ़ती तादाद से ब्रिटेन को खासी चिंता है।
पाकिस्तान में प्रसिद्ध कव्वाल अमजद साबरी की गोली मारकर हत्या

पाकिस्तान में प्रसिद्ध कव्वाल अमजद साबरी की गोली मारकर हत्या

पाकिस्तान में बुधवार को अज्ञात बंदूकधारियों ने देश के बेहतरीन कव्वालों में से एक अमजद साबरी की गोली मारकर हत्या कर दी। साबरी को रूह छू देने वाली सूफी गायिकी के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता था।
देश हो तो ऐसा : स्विट्जरलैंड के लोगों ने मुफ्त सैलरी की पेशकश ठुकराई

देश हो तो ऐसा : स्विट्जरलैंड के लोगों ने मुफ्त सैलरी की पेशकश ठुकराई

अगर बिना काम किए कोई सैलरी देने का वादा करेगा, तो इससे खुशी की बात क्‍या होगी और यह खुशी तब और बढ़ जाएगी जब यह पेशकश सरकार की तरफ से आए। ऐसी सुहानेे प्रस्‍ताव को बहुत से लोग तुरंत स्‍वीकार कर लेंगे लेकिन स्विट्जरलैंड के लाेेगों की इससे अलग राय है। वहां के लोगों ने सरकार की तरफ से दी गई ऐसी पेशकश को ठुकरा दिया है।
ब्रिटेन: जनमत संग्रह पर कैमरुन के नेतृत्व को मिली चुनौती

ब्रिटेन: जनमत संग्रह पर कैमरुन के नेतृत्व को मिली चुनौती

यूरोपीय संघ (ईयू) के मुद्दे पर 23 जून को होने वाले जनमत संग्रह की समयसीमा निकट आने के साथ ही प्रधानमंत्री डेविड कैमरुन की सत्तारूढ़ कंजरवेटिव पार्टी के नेतृत्व को अपने ही सांसदों से खुली चुनौती मिल रही है। बागी सांसदों ने ईयू में ब्रिटेन की सदस्यता के मुद्दे से निपटने को लेकर उनके खिलाफ खुलेआम बोलना शुरू कर दिया है।
‘ये लोग फ्री सेक्स का मतलब नहीं जानते’

‘ये लोग फ्री सेक्स का मतलब नहीं जानते’

फेसबुक और ट्विटर संवाद बनाने का जरिया है। मैंने अपने फेसबुक पर ऐसी सेटिंग्स की हुई थी कि मेरी वॉल पर कोई दूसरा कुछ लिख नहीं सकता था। बहुत से लोगों ने मुझसे कहा कि आप अपनी सेटिंग्स बदल दें ताकि हम आपसे संवाद में शामिल हो सकें। मैंने ऐसा कर दिया। कुछ समय पहले मैंने जेएनयू और जादवपुर यूनिवर्सिटी की छात्राओं पर लगे फ्री सेक्स के आरोप पर एक लेख लिखा। मैंने लिखा- ‘लड़कियों को फ्री सेक्स की गाली क्यों दी जाती है, पुरुषों को क्यों नहीं? क्योंकि माना जाता है कि पुरुषों को फ्री सेक्स का हक है।’ पुरुषों के लिए फ्री सेक्स कॉम्लीमेंट जैसा है। सही मायने में राजनीतिक तौर पर बेबाक महिलाओं को शर्मिंदा करने के लिए उन्हें रं...या फ्री सेक्स करने वाली कहा जाता है। मेरा यह लेख काफी शेयर हुआ। मैंने इसे अपनी फेसबुक वॉल पर भी शेयर किया। मेरे इस लेख में किसी ने कमेंट किया कि ‘तेरी मां भी फ्री सेक्स करती होगी?, तेरा बाप कौन है तू जानती भी नहीं.. ’ मेरी मां ने इसका जवाब दिया- ‘हां, मैंने फ्री सेक्स किया है। फ्री नहीं किया तो वह बलात्कार होता। फ्री का मतलब सहमति से सेक्स करना है, किसी को बंधक बनाकर सेक्स करना बलात्कार होता है।’ इसी से गालियों का सिलसिला शुरू हो गया। मेरे पिता, पति, भाई, बहन, मां सभी को गालियां और मुझे बलात्कार की धमकी दी गई।
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