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Search Result : "काम को बोझ"

चर्चाः लिबास नहीं काम देखो | आलोक मेहता

चर्चाः लिबास नहीं काम देखो | आलोक मेहता

सोशल मीडिया से जागरुकता बढ़नी चाहिए अथवा संकीर्ण विचारों को फैलाया जाए? यह सवाल विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज की ईरान यात्रा के दौरान राष्‍ट्रपति हसन रूहानी से मुलाकात के दौरान पहनी लिबास पर सोशल मीडिया में चली निरर्थक बहस से उठता है।
चर्चाः काम नहीं, नाम पर राजनीति | आलोक मेहता

चर्चाः काम नहीं, नाम पर राजनीति | आलोक मेहता

केंद्र और दिल्ली सरकार की नाक के नीचे हजारों दलित परिवारों के लिए पीने लायक साफ पानी, बच्चों के लिए शिक्षा, सिर छिपाने लायक छोटे फ्लैट, गंदी नालियां और शौचालय साफ करने के लिए सामान और ‌उचित मजदूरी नहीं है।
महबूबा ने मंत्रियों से कहा, काम करो नहीं तो लोग आपको सबक सिखाएंगे

महबूबा ने मंत्रियों से कहा, काम करो नहीं तो लोग आपको सबक सिखाएंगे

शपथग्रहण के बाद कार्यभार संभालते हुए जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने अपने मंत्रियों से कहा कि वे सुशासन और भ्रष्टाचार मुक्त प्रसाशन दें, नहीं तो लोग अगले चुनाव में आपको सबक सिखाएंगेे।
भारत में काम कर रही है एफबीआई

भारत में काम कर रही है एफबीआई

अमेरिका की संघीय जांच एजेंसी एफबीआई भारत में काम कर रही है। चौंकने की जरूरत नहीं है, एफबीआई ने आतंकियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले विस्फोटकों इंप्रोवाइस्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) से निबटने के लिए भारत में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) से हाथ मिलाया है।
बजट में सातवें वेतन आयोग के लिए 70,000 करोड़ रुपये

बजट में सातवें वेतन आयोग के लिए 70,000 करोड़ रुपये

सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को अमल में लाने के लिए 2016-17 के बजट में 70,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। वित्त मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने यह जानकारी दी।
समाज सुधार के काम को आगे बढ़ाती हैं खाप पंचायतें: सीएम खट्टर

समाज सुधार के काम को आगे बढ़ाती हैं खाप पंचायतें: सीएम खट्टर

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का कहना है कि खाप पंचायतें समाज की उपयोगी संस्थाएं हैं जो समाज सुधार के काम को आगे बढ़ाती हैं। एकाध गलती के कारण खाप पंचायतों को पूरी तरह गलत नहीं ठहराया जा सकता। खट्टर ने कहा कि खाप पंचायतों का अपना मजबूत आधार है और उन पर प्रतिबंध लगाने का कोई प्रस्ताव नहीं है।
चर्चाः उच्च सदन, ऊंचे पद, काम अधूरे | आलोक मेहता

चर्चाः उच्च सदन, ऊंचे पद, काम अधूरे | आलोक मेहता

प्रसिद्ध पत्रकार और राज्यसभा के पूर्व सदस्य कुलदीप नायर ने बहुत पहले यह कानूनी लड़ाई लड़ी थी कि संसद के उच्च सदन में मूलतः संबंधित प्रदेश के नेता को ही चुने जाने का प्रावधान हो। श्री नायर यह लड़ाई जीत नहीं सके, लेकिन विभिन्न प्रदेशों के लोग, प्रादेशिक नेता और कार्यकर्ता बाहरी नेताओं को फूलमालाएं पहनाने और जय-जयकार करने के बाद भी मन से दुःखी और दर्द झेलते रहे। इसलिए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर नरेंद्र मोदी द्वारा असम की अनदेखी तथा योजनाओं का क्रियान्वयन न करने के आरोप राजनीतिक होने के बावजूद सही हैं।
सत्ता और जनता के बीच सेतु का काम करुंगी- डॉ. मीसा भारती

सत्ता और जनता के बीच सेतु का काम करुंगी- डॉ. मीसा भारती

राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू यादव की बेटी डॉ. मीसा भारती भले ही लोकसभा का चुनाव हार गई हों लेकिन राजनीतिक सक्रियता बरकरार है। मीसा जनता के बीच बेहतर संवाद बनाए हुए हैं और भविष्य के लिए रणनीति तैयार कर रही हैं। आने वाले दिनों में मीसा की राजनीतिक भूमिका क्या होगी। इसको लेकर आउटलुक के विशेष संवाददाता ने विस्तार से बातचीत की। पेश है प्रमुख अंश-
किसी की मर्जी और पसंद से काम नहीं कर सकता लोकतंत्र : मोदी

किसी की मर्जी और पसंद से काम नहीं कर सकता लोकतंत्र : मोदी

इन दिनों लगातार संसद की कार्यवाही में पड़ रहे व्यवधान से दुखी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज परोक्ष रूप से विपक्ष के रवैये पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा है कि लोकतंत्र किसी की मर्जी और पसंद के हिसाब से काम नहीं कर सकता।
समाज का चितेरा

समाज का चितेरा

सामाजिक ताना-बाना समझना किसी के लिए भी आसान नहीं है। इस जटिलता को भी असगर वजाहत ने बहुत अच्छी तरह न सिर्फ समझा बल्कि उसे बयान करने का शिल्प भी कमाल का है। यह शब्द जाने-माने साहित्यकार सर्वेश्वर दयाल सक्सेना के हैं, जो उन्होंने असगर वजाहत की कहानियों को पढ़ने के बाद कहे थे।
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