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कार्टून में दिखी बाघों की व्यथा

कार्टून में दिखी बाघों की व्यथा

अगर शेर, बाघ और अन्य पशु बोलने लगें तो क्या होगा। शायद वह यही कहें, प्लीज हमें बक्श दो। मध्य प्रदेश के कार्टूनिस्ट हरिओम तिवारी ने बाघों पर आधारित कार्टून बनाए और टाइगर स्पीक नाम से दिल्ली में लोगों तक यह बात पहुंचाने की कोशिश की कि उन्हें भी चैन चाहिए हमारी तरह।
शार्ली एब्दो के घृणास्पद कार्टून की रूस ने निंदा की

शार्ली एब्दो के घृणास्पद कार्टून की रूस ने निंदा की

रूसी संसद के विदेश मामलों की समिति के प्रमुख एलेक्जेई पुशकोव ने फ्रांस की साप्ताहिक व्यंग्य पत्रिका शार्ली एब्दो के नवीनतम संस्करण में छपे यूक्रेन में युद्धविराम से संबंधित कार्टून की निंदा करते हुए इसे घृणास्पद करार दिया है।
कहाँ गए हमारे कार्टून?

कहाँ गए हमारे कार्टून?

कार्टून पर हमले भलेही यूरोपीय देशों में हो रहे हों, लेकिन अपने देश में वह पहले ही मरणासन्न हालत में है. साढ़े तीन दशक पहले जब हमने पत्रकारिता में कदम रखा था तब लगभग हर अखबार में कार्टून छपा करते थे, उन पर चर्चा हुआ करती थी, नामी कार्टूनिस्ट हुआ करते थे. हिन्दी अखबार, जिनकी अर्थव्यवस्था अपेक्षाकृत कमजोर मानी जाती थी, वहाँ भी दो-दो कार्टूनिस्ट होते थे.