जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के एक हॉस्टल में मंगलवार को पूर्वोत्तर के एक छात्र का शव बरामद हुआ है। इसकी पहचान जेआर फिलेमॉन राजा के तौर पर हुई है, जो पिछले तीन दिन से लापता बताया जा रहा था।
जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी से गायब एमएससी (बायोटेक्नो लॉजी) प्रथम वर्ष के छात्र नजीब अहमद को लेकर कैंपस का माहौल गर्म है। बार फिर यहां लाल और भगवा ब्रिगेड आमने-सामने हैं। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने इस पूरे मामले को लेकर दिल्लीड पुलिस कमिश्नैर आलोक वर्मा से भी बात की है। उन्होंने दिल्ली पुलिस को लापता छात्र का पता लगाने के लिए विशेष टीम गठित करने का निर्देश दिया।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कानून के छात्रों से संविधान का ठीक से अध्ययन करने की अपील करते हुए रविवार को उनसे कहा कि वे शासन और राज्य से जुड़े सभी मामलों में भागीदारी कर उन परिवर्तनों का माध्यम बनें, जो वे चाहते हैं।
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि भाजपा नीत केंद्र सरकार ने अल्पसंख्यक मामले में जो स्टैंड बदला है, उसके पीछे राजनीतिक विचारधारा मुख्य वजह है। विश्वविद्यालय के मुताबिक, केंद्र का फैसला तर्कसंगत नहीं है, अनुचित है और राजनीतिक वजहों से लिया गया है।
पाकिस्तान के बंदरगाह शहर कराची में 56 वर्षीय एक हिन्दू डॉक्टर की उनके क्लिनिक के बाहर गोली मार कर हत्या कर दी गई। इस हत्या को धर्म से प्रेरित हत्या के रूप में देखा जा रहा है।
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) ने अपनी जांच में पाया है कि हैदराबाद यूनिवर्सिटी के छात्र रोहित वेमुला ने भेदभाव के कारण ही आत्महत्या की थी। यही वजह है कि आयोग शैक्षणिक संस्थानों में भेदभाव और अत्याचार रोकने के लिए अलग कानून चाहता है।
कालेधन के खिलाफ सरकार की मुहिम में बालीवुड के किंग शाहरूख खान भी फंसते नजर आ रहे हैं। खान को इनकम टैक्स विभाग की तरफ से नोटिस दिया गया है। परदेस की कंपनियों पर निवेश के संंबंध में इसमें उनसे जानकारी मांगी गई है। खान से बरमूडा, आईलैंड और दुबई मेंं उनके निवेश के बारे में पूछा गया है।
एक ऐतिहासिक फैसले में उच्चतम न्यायालय ने 24 हफ्ते की एक गर्भवती महिला को गर्भपात कराने की इजाजत दी। महिला बलात्कार पीड़िता है और असामान्य भ्रूण के कारण उसने अदालत से गर्भपात कराने की इजाजत मांगी थी।
रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद के सबसे उम्रदराज पैरवीकार हाशिम अंसारी के बुधवार को हुए निधन से मुसलमानों और हिन्दुओं समेत पूरे समाज में दुख का माहौल है। विवादित ढांचा विवाद के आखिरी मूल वादी अंसारी ने कभी भी मुद्दे को लेकर सियासत नहीं की। सारी जिंदगी मुकदमे की पैरवी में निकाल देने वाले अंसारी को समाज का हर वर्ग और तबका सम्मान की नजर से देखता था।