भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के खिलाफ अपने प्रदर्शन से पहले सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने आज संकेत दिए कि अगर नरेन्द्र मोदी सरकार ने इस मुद्दे पर ध्यान नहीं दिया तो रामलीला मैदान में बड़ा आंदोलन किया जाएगा।
बसपा प्रमुख मायावती ने आज कहा कि केंद्र की नीतियां प्रदर्शित करने वाले राष्ट्रपति अभिभाषण में कुछ भी नया नहीं है और इसमें काम कम और बातें ज्यादा हैं। उन्होंने संसद भवन परिसर में कहा, राष्ट्रपति के अभिभाषण में कुछ भी नया नहीं है। विगत में जो सभी बातें कही गयी हैं, उसे ही विभिन्न तरीके से पेश किया गया है।
जंतर-मंतर पर भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर अन्ना आंदोलन जारी था और इधर दिल्ली के कॉन्सटीट्यूटशन क्लब में किसानों के हकों की लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले किसान संगठन भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) की इसी मुद्दे पर अलग से प्रैसवार्ता चल रही थी। अन्ना आंदोलन से जुड़े लोगों का कहना था कि उनके साथ देशभर के सभी किसान संगठन हैं जबकि किसानों का महत्वपूर्ण संगठन बीकेयू इसी मुद्दे पर अन्ना से अलग रहा।
अण्णा हजारे का 23-24 फरवरी को दिल्ली के तर-मंतर पर होने वाला आंदोलन सांकेतिक आंदोलन होगा। भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के खिलाफ, किसानों के हक को लेकर इस धरने में देशभर से लोग जुटेंगे। सरकार ने अगर तीन महीने तक आंदोलकारियों की प्रस्तावित मांगों पर गौर नहीं किया तो रामलीला मैदान में अनिश्चिकालीन धरना दिया जाएगा।
मशहूर ऐक्टिविस्ट नेता मेधा पाटकर और स्वामी अग्निवेश समेत कई लोग भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के ख़िलाफ़ दिल्ली कूच करेंगे। भूमि अध्यादेश संबंधी 2013 के कानून में बदलाव के खिलाफ 28 फरवरी को हरियाणा के पलवल से दिल्ली तक यह मार्च निकाला जाएगा।