जाने-माने अर्थशास्त्री और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के सेवानिवृत प्रोफेसर अरुण कुमार देश में मौजूदा आर्थिक हालात को वैश्विक आर्थिक सुस्ती की देन मानते हैं। उनका यह भी मानना है कि हर सरकार राजकोषीय घाटा कम करने के लिए ही चिंतित रहती है और उसी मुताबिक बजट बनाकर किसी लक्ष्य तक पहुंचने में विफल रहती है। इसे वह गलत धारणा मानते हैं। आउटलुक के राजेश रंजन से बातचीत में उन्होंने रोजगार, घरेलु मांग, विकास दर आदि बढ़ाने पर जोर दिया।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने संसद में पेश आम बजट में उत्तर प्रदेश की उपेक्षा किये जाने का आरोप लगाते हुए कहा कि बजट में लेकिन सूबे को उसकी आबादी के लिहाज से जरूरी धन नहीं दिया गया।
देश में सरकार की चौतरफा हो रही आलोचना के बीच केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली जब वर्ष 2016-17 का बजट प्रस्तुत करने 29 फरवरी को लोकसभा में खड़े हुए तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पूरी सरकार दम साधे यह देख रही थी आखिर यह बजट उन्हें जनता के बीच खड़े होने का भी मौका देगा या नहीं। लेकिन जेटली सब तय करके बैठे थे और उन्होंने बजट भाषण की शुरुआत ही इन पंक्तियों से करके अपने इरादे जता दिए थे:
'कश्ती चलाने वाले ने जब हार के दी पतवार हमें
लहर-लहर तूफान मिले और मौज-मौज मंझधार हमें
फिर भी दिखाया है हमने और फिर ये दिखा देंगे सबको
इन हालात में आता है दरिया पार करना हमें
भाजपा सरकार दस कदम आगे बढ़ने के साथ शीर्षासन के अंदाज में दो कदम पीछे हटने की कोशिश में संतुलन खो देती है। बजट को ‘सूट-बूट’ की छवि से निकालने के लिए ग्रामोन्मुख रखा गया, लेकिन वेतनभोगी कर्मचारियों और मजदूरों की खून-पसीने की कमाई की बचत भविष्य निधि के एक हिस्से पर टैक्स का प्रस्ताव रखकर गड़बड़ा गई है।
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने लोकसभा में वित्त वर्ष 2016-17 का आम बजट पेश करते हुए कहा कि उनकी सरकार खाद्य सुरक्षा से और आगे बढ़ने तथा हमारे किसानों में आय सुरक्षा की भावना भरने का इरादा रखती है।
मनमोहन सिंह ने आधुनिक अर्थव्यवस्था के नाम पर अपने कदमों से कांग्रेस की जमीन को रेगिस्तान में बदला। नरेन्द्र मोदी की सरकार ने उसी जमीन पर अच्छी फसल के लिए हवा-पानी का इंतजाम नए वित्तीय वर्ष के बजट से कर दिया।