भारतीय जनता पार्टी में जहां 75 साल से ज्यादा की उम्र वाले नेताओं को राजनीति से रिटायर करने की बात प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह कर चुके हैं, वहीं इस बार के विधानसभा चुनाव में कई राज्यों में विभिन्न पार्टियों के वयोवृद्ध नेता मैदान में उतर रहे हैं। वाममोर्चा और कांग्रेस में कई उम्मीदवार ऐसे हैं, जो 80 साल से ज्यादा की उम्र के हैं। केरल से माकपा के वयोवृद्ध नेता वीएस अच्युतानंदन मैदान में हैं, जो 92 साल के हैं। बंगाल वाममोर्चा के कई ऐसे नेता हैं, जो 75 पार कर चुके हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु 90 साल से ज्यादा की उम्र तक राजनीति में सक्रिय रहे। दोनों राज्यों में कांग्रेस के भी कई नेता ऐसे हैं, जो उम्र के आठवें पड़ाव में पहुंच चुके हैं।
‘एकला चलो’ की राजनीति सत्ता के स्वर्णिम दरवाजे नहीं खोल पाती। इसलिए दशकों तक विचारधारा, मूल्यों और नेतृत्व पर निर्भर रहने वाले प्रमुख राजनीतिक दल-कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी समय के साथ सहयोगी बना और छोड़ रहे हैं।
केंद्रीय चुनाव आयोग ने आज पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा कर दी है। असम, पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी में विधानसभा चुनावों की घोषणा की गई है। चुनाव कार्यक्रम की शुरुआत असम और पश्चिम बंगाल से होगी जबकि समापन केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी में होगा।
केरल आौर पश्चिम बंगाल में जल्द ही होने जा रहे विधानसभा चुनाव की पृष्ठभूमि में भाजपा ने आज लोकसभा में वाम दलों को सीधे निशाने पर लेते हुए उन्हें भारतीय विकास गाथा की परी कथा की चुड़ैल बताया।
राहुल गांधी ने आज केरल में कांग्रेस नेताओं से कहा कि आपसी मतभेद भुलाकर आगामी विधानसभा चुनावों में एकजुट होकर लड़ें। वहीं राज्य के पार्टी नेताओं ने कांग्रेस उपाध्यक्ष से कहा है कि पश्चिम बंगाल में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) के साथ गठबंधन नहीं करें। केरल में पश्चिम बंगाल के साथ ही विधानसभा चुनाव होने हैं।
देश में असहिष्णुता पर छिड़ी बहस के बीच बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन ने कहा है कि उनके विचार में भारत एक असहिष्णु देश नही है। लेकिन उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि देश में धर्मनिरपेक्ष लोग केवल हिंदू कट्टरपंथियों पर ही सवाल क्यों उठाते हैं, मुस्लिम कट्टरपंथियों को क्यों छोड़ देते हैं। तसलीमा ने कहा कि छद्म-धर्मनिरपेक्षता पर आधारित लोकतंत्र कभी सच्चा लोकतंत्र नहीं है।