केंद्र सरकार के 50 लाख कर्मचारियों को केंद्र सरकार ने तोहफा दिया है। कैबिनेट ने सातवें वेतन आयोग की एचआरए और दूसरे भत्तों में बदलाव को मंजूरी दे दी। कर्मचारियों को इस फैसले का लंबे समय से इंतजार था। इससे सरकारी खजाने पर कुल 30,748.23 करोड़ का भार पड़ेगा। यह सिफारिशें एक जुलाई से लागू होंगी।
दिल्ली की एक अदालत ने घरेलू हिंसा के एक मामले में महिला के मासिक अंतरिम गुजारा भत्ते में इजाफा करने से यह कहकर इनकार कर दिया है कि यह अपेक्षा नहीं की जा सकती कि वह घर पर ही बेकार बैठी रहे और अपने पति की कमायी पर ही आश्रित रहे क्योंकि वह अपने पति से कहीं अधिक पढ़ी लिखी है।
भारत के अधिकांश मंत्रियों, बड़े अफसरों, राजनयिकों को सरकारी खजाने से खाने-पीने और सैर-सपाटे की आदत रहती है। तनख्वाह और भत्तों के बावजूद वे या उनके सहयोगी बंगलों में ‘आतिथ्य सत्कार’ के खाते में बेहिसाब खर्च करते हैं।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक फैसले में कहा कि पति या पत्नी, दोनों में से कोई एक केवल इस आधार पर ही परित्याग का फैसला नहीं कर सकता कि ससुराल पहले किसने छोड़ा क्योंकि विवाहित जोड़े में से एक का आचरण दूसरे को अलग रहने के लिए बाध्य कर सकता है।
केंद्र सरकार अपने अधिकारियों को हर साल लगभग एक लाख करोड़ रुपये वेतन भत्तों के रूप में देती है। फिर भी सरकार के केंद्रीय मंत्रियों की एक बैठक में कामकाज की समीक्षा के दौरान एक वरिष्ठ अधिकारी ने व्यंग्य के साथ कहा कि 'बंदर के मुंह में मूंगफली का दाना डाला जाए, तो वैसा ही परिणाम मिल सकता है।’
अगर आजादी का मतलब विदेशी हुकूमत से आजादी है तो वह यकीनन हमने हासिल कर ली। लेकिन सवाल यह है कि क्या महिलाओं को परंपराओं-मान्यताओं की जकड़न से आजादी मिली ? या पुराने पड़ चुके कानूनों ने उन्हें दूसरे तरह की जकड़न में बांध दिया है, आजाद हिंदुस्तान के कानूनों की बेड़ियां ?