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चर्चाः शाह की चुप्पी की सलाह कितनी जायज

चर्चाः शाह की चुप्पी की सलाह कितनी जायज

ताकत मौन में या मीडिया के पास? मीडिया कहां चुप रहे, कहां मुंह खोले और कहां ध्यान दे? सत्ता में आने के बाद अधिकांश राजनेता मीडिया को नई राह दिखाने की कोशिश करते हैं। पत्रकारिता की ‘लक्ष्मण रेखा’ पार करने वाले एक वर्ग के कारण मीडिया को घेरने की गुंजाइश बनती है।
कांग्रेस नेताओं के यहां छापा क्यों नहीं मारती सीबीआई: केजरीवाल

कांग्रेस नेताओं के यहां छापा क्यों नहीं मारती सीबीआई: केजरीवाल

अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर सौदा मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री की चुप्पी पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए सवाल उठाया कि इस मामले से जुड़े कांग्रेस नेताओं के खिलाफ सीबीआई छापेमारी क्यों नहीं करती है।
पनामा लीक पर ऐश्वर्य की चुप्पी

पनामा लीक पर ऐश्वर्य की चुप्पी

अपनी नई फिल्म सरबजीत के लिए शूटिंग कर रही ऐश्वर्या राय को पनामा पेपर का भूत छोड़ नहीं रहा है। इस फिल्म के सिलसिले में वह जहां भी जा रही हैं पत्रकार उनसे पनामा के बारे में ही पूछ रहे हैं।
तृणमूल सीडी कांड पर आला नेताओं की चुप्पी से बंगाल भाजपा में असमंजस

तृणमूल सीडी कांड पर आला नेताओं की चुप्पी से बंगाल भाजपा में असमंजस

तृणमूल कांग्रेस घूसकांड को लेकर भारतीय जनता पार्टी की केन्द्रीय नेताओं की चुप्पी के चलते बंगाल के भाजपाई असमंजस में हैं। घूसकांड के मुद्दे को भुनाने के लिए क्या योजना बनाई जाए- इसके लिए वे आलाकमान का मुंह जोह रहे हैं। इस मुद्दे पर न तो अब तक भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का कोई बयान आया है और न ही अरुण जेटली, राजनाथ सिंह या फिर कैलाश विजयवर्गीय।
प्रधानमंत्री की चुप्पी असहिष्‍णुता को बढ़ावा दे रही- सोनिया

प्रधानमंत्री की चुप्पी असहिष्‍णुता को बढ़ावा दे रही- सोनिया

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा और कहा कि पीएम की चुप्पी असहिष्‍णुता को बढ़ावा दे रही है। देश में बढ़ रही सांप्रदायिक ‌हिंसा की घटनाओं का जिक्र करते हुए सोनिया ने कहा कि पार्टी ऐसी शक्तियों से पूरी ताकत के साथ मुकाबला करेगी। उन्होने कहा कि जो कुछ भी घटित हो रहा है वह सचमुच में हर भारतीय के लिए गहरी चिंता का विषय होना चाहिए।
दिल्ली संकट पर चुप्पी तोड़ें राष्ट्रपति

दिल्ली संकट पर चुप्पी तोड़ें राष्ट्रपति

देश के संवैधानिक प्रमुख की हैसियत से राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी राजधानी दिल्ली में गहराते संवैधानिक संकट को देखते हुए अब और निष्क्रियता और चुप्पी की आरामतलबी गवारा नहीं कर सकते। केंद्रीय गृह मंत्रालय की अधिसूचना और आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार के उसके खिलाफ विधान सभा का सत्र बुलाने के निर्णय से केंद्र और दिल्ली सरकार का टकराव अब उस कगार पर पहुंच गया है कि बिना न्यायपालिका या राष्ट्रपति जैसी उच्च संवैधानिक संस्थाओं की पंचायती के किसी परिपक्व संवैधानिक हल की उम्मीद नहीं।