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Search Result : "छोटे उद्योग"

फिर छोटे परदे पर बिग बी

फिर छोटे परदे पर बिग बी

बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन आने वाले टीवी शो आज की रात है जिंदगी से छोटे पर्दे पर हलचल मचाने को तैयार हैं।
छोटे शहर भाग जाना चाहते थे जावेद अख्तर

छोटे शहर भाग जाना चाहते थे जावेद अख्तर

सर्वश्रेष्ठ गीत के लिए चार राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुके प्रसिद्ध गीतकार, पटकथाकार और कवि जावेद अख्तर ने एक समय किसी छोटे शहर भाग जाने और वहां किसी छद्म नाम के साथ रहने के बारे में सोचा था क्योंकि उन्हें लगा था कि वह अब और लेखन नहीं कर सकते।
आत्मा के योग से राजबल के योग तक

आत्मा के योग से राजबल के योग तक

आंगन के पार पूरब में कमरे थे, कमरों के पार दालान। दालान के पार रास्ता था, रास्ते के पार आंवला, कनेर और बेल के पेड़ थे, फिर मेड़ की आड़। आड़ के पार पोखर था जिसके जल में आसमान में उगता गोल और सुर्ख सूरज टलमल करता था। पोखर के पार दादा जी (छोटे बाबा) की कुटी थी जिसमें एक कमरे के ऊपर उजियार कमरा था और नीचे अंधेरा तहखाना। कुटी के पार आमों के बाग थे, बाग के पार दूर तक खेत-सरेह। दूर सरेह के पार बडक़ी नहर की आड़ दिखती थी। लेकिन इस सुदूर विस्तार में हजारों, सैकड़ों या बीसियों तक क्या, इक्का-दुक्का भी समवेत योग नहीं होता था।
अब गैमलिन ने लगाए आप के मंत्री पर आरोप

अब गैमलिन ने लगाए आप के मंत्री पर आरोप

अब वरिष्‍ठ आईएएस अधिकारी शकुंतला गैमलिन ने दिल्‍ली सरकार के उद्योग मंत्री सत्‍येंद्र जैन पर अनुचित कामों के लिए दबाव डालने के गंभीर आरोप लगाए हैं। गैमलिन का आरोप है कि जैन उन पर अौद्योगिक भूखंडों को लीजहोल्‍ड से फ्रीहोल्‍ड में बदलने का दबाव डाल रहे हैं।
छोटे-छोटे मसलों से ऊपर उठकर विकास पर ध्यान दे सरकारः एसोचैम

छोटे-छोटे मसलों से ऊपर उठकर विकास पर ध्यान दे सरकारः एसोचैम

दिल्ली में उपराज्यपाल नजीब जंग और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के ‌बीच छिड़े विवाद में केंद्र सरकार के भी कूद पड़ने पर उद्योग संघ ने कड़ी टिप्पणी की है। एसोचैम के महासचिव डी. एस. रावत का कहना है कि राष्ट्रीय राजधानी की जनता ने अपनी बुनियादी जरूरतों के लिए केजरीवाल सरकार को चुना है, लोगों को संविधान में लिखे शब्दों से कोई लेना-देना नहीं है।
कुछ सवाल जो पनगढ़िया छिपा गए

कुछ सवाल जो पनगढ़िया छिपा गए

नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने अपने ब्लॉग में देश की आर्थिक तरक्की का जिक्र किया है और इसमें कृषि को छोड़ अन्य दूसरे क्षेत्रों का योगदान बताया है। लेकिन उन्होंने यह जिक्र करना शायद उचित नहीं समझा कि पिछले जिस दशक के दौरान अर्थव्यवस्‍था में सबसे तेज विकास हुआ, उसी अवधि में रोजगार की विकास दर सबसे धीमी क्यों रही?
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