भारत सरकार में इंटेलीजेंस ब्यूरो के पूर्व अधिकारी और विवेकानंद फाउंडेशन के फेलो आरएनपी सिंह को खुफिया से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों में गहरा अनुभव है। उनकी राइट्स एंड रांग्स, बांग्लादेश डिकोडेड और हिंदी में दो पुस्तकें बहुत चर्चित रहीं। नेहरू: ए ट्रबल्ड लीगेसी से उन्होंने कुछ मौलिक सवाल उठाए हैं: क्या हमने कभी नेहरू के बारे में ईमानदारी से मूल्यांकन किया है और इस प्रभाव में क्या हमने देश के समकालीन इतिहास का निष्पक्ष मूल्यांकन किया है? इस पुस्तक में नेहरू के सिद्धांतवाद या अपने हित में दोहरे मानदंड अपनाने पर सवाल उठाए गए हैं।
मनोज की कविताओं में समाज के विविध रंग दिखाई पड़ते हैं। परिवार के प्रति चिंता या अपनों की देखरेख की चिंता भी मनोज शब्दों में ऐसे बांधते हैं कि हर किसी को वह दुख साझा लगता है। सन 2008 के प्रतिष्ठित भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार के बाद भारतीय भाषा परिषद से तथापि जीवन नाम से काव्य संग्रह। कविताएं लिखने के अलावा अनुवाद के काम में संलग्न रहते हैं।
भारतीय जनता पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने पार्टी के संस्थापक सदस्य को अपनी व्यथा सुनाते हुए कहा कि सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। तब पार्टी के संस्थापक सदस्य ने कहा कि, 'कुछ मत बोलो बहुत टेरर है।’ विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक यह कटाक्ष भाजपा के मौजूदा नेतृत्व को लेकर था और जब पार्टी के वरिष्ठ नेता शांता कुमार की चिट्ठी सामने आई तो इस 'टेरर’ का अंदाजा लगाया जा सकता है।
सोमवार को राजद द्वारा किए गए बिहार बंद के चलते पूरे बिहार में आम जन जीवन अस्त व्यस्त हो गया। राजधानी पटना में इस बंद का खासा असर देखा गया। दुकानें, शैक्षणिक संस्थानों को जबरन बंद कराए जाने और कई ट्रेनों का परिचालन बाधित कर दिए जाने के कारण पूरे बिहार में आम जीवन प्रभावित रहा। पटना में लालू यादव बंद का नेत़त्व करते हुए पार्टी नेताओं के साथ गिरफ्तार कर लिए गए।
स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं की मानें तो प्राकृतिक माहौल में सैर करने से अवसाद से दूर रहा जा सकता है। जो लोग अवसाद में रहते हैं और शहरी इलाकों या बहुत भीड़ वाली जगह पर रहते हैं या ऐसी ही जगहों पर सैर करते हैं उन्हें सलाह है कि प्रकृति के थोड़ा करीब जाएं।
जो न बदले वह फैशन ही क्या। पल-पल बदलती शैली ही फैशन की असली ताकत है। खादी आजादी की लड़ाई के वक्त से जनता के बीच लोकप्रिय है। पर इसे जनप्रिय बनाने के लिए समय-समय पर बदलाव करने पड़ते हैं। फैशन के इस दौर में खादी भी निखर रही है, संवर रही है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को तीसरी बार लागू करने के निर्णय के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि यह विधेयक उनके लिए जीवन या मरण का विषय नहीं है और वह इस बारे में कोई भी सुझाव स्वीकार करने को तैयार हैं।