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मौजूदा सरकार में विज्ञान की नासमझी: पीएम भार्गव

मौजूदा सरकार में विज्ञान की नासमझी: पीएम भार्गव

वह उम्र के उस पड़ाव में हैं, जहां कांपते हाथों के साथ लड़खड़ाती जुबान से लोग अपने बीते दिनों की उपलब्धियों को गिनते-गिनवाते हैं लेकिन उनका मामला अलग है। वह खुद ही पूछते हैं, बताओ मेरी उम्र कितनी है, फिर मेरे मौन को मेरी दुविधा समझकर खुद ही जवाब देते हैं, 86 साल। नहीं लगता न, अगर ये पार्किंसंस (हाथों-पैरों के स्वत: हिलने की बीमारी) न परेशान करता तो शायद बिल्कुल भी न लगता। पुष्प मित्र भार्गव (पी.एम.भार्गव) देश के आला वैज्ञानिक, बायोलॉजिस्ट हैं। उन्हें इस बात की फिक्र है कि अगर देश में जीन संवद्धित (जीएम) फसलों को मंजूरी मिल गई तो इससे किस तरह न सिर्फ पर्यावरण, खेती को नुकसान होगा बल्कि आने वाली पीढ़ियों को नुकसान होगा।
विदेशी दाताओं के बहाने ज्ञान और विकास पर हमला

विदेशी दाताओं के बहाने ज्ञान और विकास पर हमला

मीडिया में आई खबरों के अनुसार, गृह मंत्रालय भारतीय एनजीओ को मिलने वाले विदेशी अनुदान पर नियम-कायदों का शिकंजा कसने के लिए एक नया तंत्र विकसित करने जा रहा है, जिसकी घोषणा 15 जून तक हो सकती है। इस नई नियामक व्‍यवस्‍था में खुफिया ब्‍यूरो, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और गृह मंत्रालय की एफसीआरए विंग के बीच मजबूत तालमेल रहेगा। विदेशी अनुदान हासिल करने वाले सभी गैर-सरकारी संगठनों को एक वेबसाइट बनानी होगी और फंड हासिल करने के 48 घंटे के अंदर इसकी जानकारी सार्वजनिक कर अपनी गतिविधियों और सहयोगी संस्‍थाओं की पूरी जानकारी देनी पड़ेगी।
चारा घोटालेबाजों के वकील बनेंगे गांधी स्मृति के निदेशक?

चारा घोटालेबाजों के वकील बनेंगे गांधी स्मृति के निदेशक?

दिल्ली स्थित गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति (जीएसडीएस) को जल्द ही अपना नया डायरेक्टर मिल सकता है। एक राष्ट्रीय अंग्रेजी दैनिक अखबार की मानें तो केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के तहत आने वाली इस स्वायत्त संस्‍था के निदेशक पद के लिए मोदी सरकार ने ‘योग्य’ उम्मीदवार का चयन कर लिया है।
सोशल मीडिया पर राहुल को दिग्विजय का ज्ञान

सोशल मीडिया पर राहुल को दिग्विजय का ज्ञान

लम्बी छुट्टी से लौटकर सियासी सक्रियता दिखा रहे कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को पार्टी के महासचिव दिग्विजय सिंह ने गुरुवार को सलाह दी कि वह सोशल मीडिया पर आकर इस लोकप्रिय माध्यम का फायदा उठाए और अपने बारे में भाजपा के कथित दुष्प्रचार का जवाब दें।
मोदी पर्यावरण पाठशाला में चांदनी रात

मोदी पर्यावरण पाठशाला में चांदनी रात

विज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम में मोदी ने 10 शहरों में प्रदूषण स्तर की निगरानी करने के लिए राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक की शुरुआत की। उन्होंने कहा, ‘प्रदूषण स्तर पर हमारा योगदान दुनिया में सबसे कम है लेकिन हमें पर्यावरण संरक्षण पर भाषण देने वाले लोग स्वच्छ उर्जा के लिए आवश्यक परमाणु ईंधन देने से हमें इनकार कर देते हैं।’
इस मुस्लिम बच्ची ने गीता के ज्ञान में सबको पछाड़ा

इस मुस्लिम बच्ची ने गीता के ज्ञान में सबको पछाड़ा

महज बारह साल की एक मुस्लिम लड़की ने मुंबई में भगवत गीता पर आधारित एक प्रतियोगिता जीत कर धर्म के कई ठेकेदारों को आईना दिखाया है। मीरा रोड इलाके के एक स्कूल की छठी कक्षा की छात्रा मरियम आसिफ सिद्दीकी ने प्रतियोगिता में शामिल हुए 4,500 बच्चों के बीच जीत हासिल की।
हाशिमपुरा: इंसाफ की राह में ठोकर

हाशिमपुरा: इंसाफ की राह में ठोकर

अट्ठाइस साल पहले हिरासत में पीएसी द्वारा मारे गए हाशिमपुरा के ४२ मुसलमानों की हत्या का कोई दोषी नहीं ठहराया गया। निचली अदालत द्वारा सबूतों के अभाव में सभी १६ आरो‌पियों को बरी करने के खिलाफ लोगों में आक्रोश है।
हिंदी साहित्यकारों को अंतरराष्ट्रीय सम्मान

हिंदी साहित्यकारों को अंतरराष्ट्रीय सम्मान

ढींगरा फाउंडेशन-हिंदी चेतना अंतर्राष्ट्रीय साहित्य सम्मानों की घोषणा कर दी गई है। यह घोषणा वषऱर्ष 2014 के लिए है। इस के अंतर्गत यह पुरस्कार उषा प्रियंवदा (अमेरिका), चित्रा मुद्गल और ज्ञान चतुर्वेदी (भारत) को प्रदान किए जाएंगे।
सरकार कार्रवाई कर रही है इसलिए भ्रष्टाचार के मामले उजागर हो रहे हैं

सरकार कार्रवाई कर रही है इसलिए भ्रष्टाचार के मामले उजागर हो रहे हैं

आए दिन भ्रष्टïाचार के मामले उजागर होने, सूर्य नमस्कार एवं गीता की पढ़ाई लागू करने तथा गो तस्करी पर विवादास्पद कानून जैसे कदमों से संघ परिवार का सांप्रदायिक एजेंडा लागू करने के आरोपों के कारण मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान की सरकार पर सवालिया निशान लग रहे हैं।
सत्ता के ऊपर ज्ञान, व्यक्तियों के ऊपर विवेक

सत्ता के ऊपर ज्ञान, व्यक्तियों के ऊपर विवेक

चुनिंदा नायकों या खलनायकों की भूमिका पर जरूरत से ज्यादा जोर देने के कारण इतिहास का सम्यक विवेचन नहीं हो पाता। जैसे गांधी, नेहरू, पटेल, जिन्ना और माउंटबेटन पर ज्यादा जोर देने से हमें भारत विभाजन के बारे में कई जरूरी प्रश्‍नों के उत्तर नहीं मिलते। मसलन, देसी मुहावरे में आम जनता को अपनी बात समझाने में माहिर और उनमें आजादी के लिए माद्दा जगाने वाले गांधी अपने तमाम सद्प्रयासों के बावजूद नाजुक ऐतिहासिक मौके पर आम हिंदू-मुसलमान को एक-दूसरे के प्रति सांप्रदायिक दरार से बचने की बात समझाने में क्यों विफल रहे, नोआखली जैसी अपनी साक्षात उपस्थिति वाली जगह को छोडक़र? जिन्ना की महत्वकांक्षा और जिद को कितना भी दोष दें, कलकत्ता और अन्य जगहों का आम मुसलमान क्यों उनके उकसावे पर पाकिस्तान हासिल करने के लिए खून-खराबे पर उतारू हो गया?
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