क्या सरकार ने अभिनेता गजेंद्र चौहान को उनके मात्रा एक पैराग्राफ वाले सीवी के आधार पर प्रतिष्ठित भारतीय फिल्म एंड टेलीविजन संस्थान (एफटीआईआई) का अध्यक्ष चुन लिया जिसमें मशहूर धारावाहिक महाभारत में युधिष्ठिर की भूमिका का उल्लेख था?
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने आज यह कहते हुए मोदी सरकार पर तीखा हमला किया कि गजेंद्र चौहान की यहां प्रतिष्ठित भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (एफटीआईआई) के अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति शैक्षणिक, नौकरशाही और न्यायिक प्रणाली को कमजोर करने की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की बड़ी योजना का हिस्सा है।
फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीटयूट ऑफ इंडिया (एफटीआईआई) परिसर में आंदोलनकारी छात्रों को जबाव देने के लिए हिंदुतत्वादी संगठन टकराव और तोड़फोड़ पर उतर आए हैं। पुणे के पतित पावन संगठन ने एफटीआईआई परिसर में ‘गजेंद्र हम तुम्हारे साथ हैं’ के नारे लगाए। आंदोलकारी छात्रों का आरोप है कि कल रात इसी संगठन के सदस्यों ने प्रतीक के रूप में अंदोलनकारी छात्रों द्वारा लगाई गई एक कलाकृति तोड़ दी और तोड़फोड़ मचाई। आंदोलन का नेतृत्व कर रहे छात्र प्रतीक वत्स कहते हैं कि ‘ वे लोग नारे लगा रहे थे, नक्सलवादियों बाहर निकलो। ’
अनुशासनात्मक कार्रवाई और निष्कासन की चेतावनी से बेपरवाह एफटीआईआई के छात्रों ने कहा है कि 35 दिनों से चल रहा उनका प्रदर्शन तब तक जारी रहेगा जब तक सरकार उनकी मांगें नहीं मान लेती। उनकी एक प्रमुख मांग टीवी कलाकार गजेंद्र चौहान को इस संस्थान के अध्यक्ष पद से हटाने की है।
एफटीआईआई के अध्यक्ष पद से गजेंद्र चौहान को हटाने की मांग करने वालों में राजकुमार राव, अमोल पालेकर और सुधीर मिश्रा सरीखी हस्तियां भी शामिल हो गई हैं। उन्होंने कहा कि चौहान में प्रतिष्ठित संस्थान की अध्यक्षता करने की क्षमता नहीं है।
व्यापमं घोटाले और मौतों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी मिलने के बाद ‘पिंजरे के तोते’ सीबीआई के सामने एक बड़ी चुनौती इस कांड की गांठों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तार खोलने की होगी। व्यापमं की गांठ में संघ के तार का सिरा 1990 तक जाता है जब इस कांड के प्रमुख अभियुक्त और खनन सरगना सुधीर शर्मा ने संघ संचालित सरस्वती शिशु मंदिर में शिक्षक के तौर पर अपना करिअर शुरू किया था। उनके पिता बाबूलाल शर्मा डेयरी निगम में किरानी थे। घर का खर्च चलाने के लिए उन्हें शाम को दूध बेचना पड़ता था।
मध्य प्रदेश के कुख्यात व्यावसायिक परीक्षा मंडल मामले की जांच करने मेघनगर (झाबुआ) गए दिवगंत पत्रकार अक्षय सिंह के परिवार वालों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मदद ठुकरा दी है। मुख्यमंत्री आज अक्षय के घर गए हुए थे। उन्होंने मध्यप्रदेश सरकार से उनकी मौत के कारणों की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है।