राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में दूध का खुदरा कारोबार करने वाली इकाई मदर डेयरी ने दूध के एक लीटर और आधा लीटर के पैक के दाम में प्रति पैकेट एक-एक रुपये की वृद्धि की घोषणा की।
बीफ यानी गाय के मांंस पर प्रतिबंध और चमड़े के परिवहन में आ रही दिक्कत के बाद क्रिकेट की गेंद के दामों में दोगुनी बढ़ोतरी हो गई है। जो गेंद एक साल पहले 400 रुपए की मिलती थी वहीं अब 800 रुपए की मिल रही है। उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में बीफ पर बैन है। इसके अलावा गाय के चमड़ेे का परिवहन करने में अब ट्रांसपोर्टर रुचि नहीं दिखा रहे हैं। इस वजह से गाय के चमड़े की किल्लत हो गई है। गाय के चमड़े से क्रिकेट की लाल गेंद बनाई जाती है। एक गाय के चमड़े से करीब तीन दर्जन गेंद तैयार की जा सकती हैं।
दो हजार सीसी और इससे अधिक की इंजन क्षमता वाली डीजल संचालित एसयूवी और कारों को खरीदने के इच्छुक ग्राहकों को अच्छी खबर देते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि वह दिल्ली और एनसीआर में इन वाहनों के पंजीकरण पर लगा प्रतिबंध हटा सकता है, बशर्ते उन पर एकबार पर्यावरण क्षतिपूर्ति उपकर लगाया जाए।
कुछ दिन पहले प्याज के गिरते दामों ने किसानों को रुलाया तो अब टमाटर के दामों में अचानक आई तेजी आम आदमी के रसोई का बजट गड़बड़ाने लगी है। सिर्फ 15 दिनों में टमाटर के भाव दोगुने तक हो गये हैं। इस तेजी के पीछे मोटी वजह टमाटर की कम आवक है। देश की कई मंडियों में टमाटर के खुदरा दाम 80 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गये हैं। इस तेजी ने आम लोगों की रसोई का बजट गड़बड़ा दिया है।
राष्ट्रीय राजधानी में कानून-व्यवस्था की समस्या और लोगों को हो रही असुविधा का हवाला देते हुए दिल्ली सरकार ने डीजल टैक्सियों का परिचालन बंद करने के लिए उच्चतम न्यायालय से समय मांगा है।
राष्ट्रीय राजधानी में डीजल से चलने वाली 27 हजार टैक्सियों पर प्रतिबंध रविवार से लागू हो गया। हालांकि इसका वास्तविक असर कल ही नजर आएगा जो कि रोक लगाए जाने के बाद पहला कामकाजी दिन होगा।
ओला और उबर जैसी टैक्सी कंपनियों समेत दिल्ली और एनसीआर में डीजल टैक्सियों के दिन पूरे हो गए हैं। उच्चतम न्यायालय ने ऐसी टैक्सियों को सीएनजी में बदलने के लिए 30 अप्रैल की समय सीमा को और बढ़ाने से आज इंकार कर दिया।
दिल्ली-एनसीआर में जनवरी-मार्च तिमाही के दौरान इससे पिछली तिमाही के मुकाबले घरों के दाम एक प्रतिशत तक घटे हैं। रीयल्टी पोर्टल 99 एकड़्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि कमजोर मांग की वजह से मकान सस्ते हुए हैं।