उत्तराखंड में 24 छोटी-बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं का काम पिछले कई वर्षों से लटका पड़ा है। गैर सरकारी संगठनों और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) का कहना है कि इन परियोजनाओं की वजह से पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ रहा है।
कुछ लोग यह सोच सकते हैं कि रंगों में क्या रखा है लेकिन तमिलनाडु में दोनों प्रमुख राजनीतिक पार्टियों के प्रमुख रंगों पर खासा ध्यान दे रहे हैं। इन दलों के लिए हरा और पीला रंग चुनावी मौसम के अहम रंग बन गए हैं।
पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल राहील शरीफ ने भारत पर पाकिस्तान को अस्थिर करने और चीन के साथ 46 अरब डॉलर के आर्थिक गलियारे वाली परियोजना को नकुसान पहुंचाने का आरोप लगाया है।
देश में आधार नामांकन की संख्या कुछ ही दिनों में 100 करोड़ के आंकड़े को लांघ जाएगी। इस उपलब्धि से सरकार की उस योजना को बड़ा बल मिलने की उम्मीद है जिसके तहत वह विभिन्न सामाजिक योजनाओं का लाभ व सब्सिडी लाभान्वितों को सीधे पहुंचाना चाहती है।
अगले डेढ़ महीने में पांच राज्यों में होने जा रहे चुनावों में भारतीय जनता पार्टी सिर्फ एक राज्य असम में सरकार बनाने की गंभीरता से कोशिश कर रही है मगर एक टीवी चैनल के चुनाव पूर्व सर्वे की मानें तो यहां भी पार्टी के लिए स्थितियां ज्यादा बेहतर नहीं दिख रही हैं।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और केंद्रीय सडक़ एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी मिलकर बिहार की सडक़ों के हालात सुधारने की कोशिश में लगे हैं लेकिन गाड़ी कहीं न कहीं अटक जा रही है। चाहे वह सडक़ निर्माण के लिए जमीन के मुआवजे का मामला हो या फिर योजनाओं के लिए धनराशि का। इससे राज्य में सडक़ निर्माण की दिशा में तेजी से काम नहीं हो पा रहा है। यही नहीं, कुछ कंपनियों और ठेकेदारों से लेवी के नाम पर होने वाली वसूली से भी योजनाएं परवान नहीं चढ़ पा रही हैं। नितिन गडकरी जहां सडक़ निर्माण के लिए गति देने के लिए जाने जाते हैं वहीं नीतीश कुमार की छवि सुशासन बाबू के रूप में मशहूर है, फिर भी योजनाओं को गति नहीं मिल पाने से माना जा रहा है कि कहीं न कहीं कुछ अड़चन है जो विकास की गति को मद्धिम कर रही है।
कर्मचारियों के लिए छह फीसद महंगाई भत्ते (डीए) की किश्त की घोषणा कर केन्द्र सरकार ने चुनावी राज्यों वाली सरकारों पर दबाव बना दिया है। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी केन्द्र की मोदी सरकार की घोषणा से बौखलाई बताई जा रही हैं, क्योंकि वहां सरकारी कर्मचारियों के स्तर पर चुनौतियां ज्यादा हैं। बंगाल सरकार के कर्मचारियों तनख्वाह केन्द्र से अब 54 फीसद कम हो गई है। अब ममता बनर्जी राज्य सरकार के कर्मचारियों को खुश करने का रास्ता ढूंढ रही हैं। यही हाल, असम, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी में भी है। हालांकि, इन राज्यों में तनख्वाहें छह से 12 फीसद ही कम हैं। इसलिए, कर्मचारियों की नाराजगी की चिंता नेताओं को कम है।