कर्नाटक के ईमानदार आइएएस अफसर डीके रवि की मौत का मामला राज्य की विधानसभा से लेकर देश की संसद तक में गूंज चुका है। राजनीतिक पार्टियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है लेकिन रवि की मौत के राज से अब तक पर्दा नहीं हट पाया है।
कॉरपारेट जासूसी का मामला रहस्यमयी होता जा रहा है। दिल्ली पुलिस और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की जांच अलग-अलग चल रही है और दोनों ही मामलों में कोई नतीजा सामने नहीं आ रहा है। संसद में मचे हंगामे के बाद सरकार का बयान भी आया कि अभी कोई ठोस नतीजा सामने नहीं आया है। इससे जाहिर है कि सरकार और जांच एजेसियों में तालमेल सही नहीं हो पाने के कारण किसी नतीजे पर पहुंच पाना मुश्किल दिख रहा है।
विभिन्न मंत्रालयों से गोपनीय दस्तावेजों को लीक करने के मामले में पेट्रोलियम मंत्रालय एक और सख्त कदम उठाते ही जल्द ही कुछ अधिकारियों-कर्मचारियों को मंत्रालय से हटा सकता है। इस मामले में कॉर्पोरेट घरानों के साथ कई गिरोहों की संलिप्तता और उनके उजागर होते कारनामों से सवाल उठने लगा है कि इसके पीछे असली खिलाड़ी कौन है? क्योंकि असल खिलाड़ी को लेकर रहस्य बना हुआ है।
हिमाचल प्रदेश की खूबसूरत घाटी किनौर इन दिनों पहले जैसी नहीं है। नंगे पर्वतों से घिरे तापड़ी के मैदान में जेपी कंपनी के खिलाफ नारेबाजी से आसमान गूंज रहा है। यहां जिले की 18 पंचायतों के लगभग तीन हजार ग्रामीणों और कंपनी में काम कर रहे आठ सौ से ज्यादा मजदूरों ने प्रदर्शन किया। जेपी के खिलाफ खुले मोर्चे में अपना हक मांग रहे लोग लगातार बोल सठिया हल्ला बोल जेपी अपनी तिजोरी खोल के नारे लगा रहे थे।
सुनंदा पुष्कर की संदिज्ध मौत का राज गहराता जा रहा है। लेकिन उससे भी बड़ा राज यह है कि आखिर पुलिस विभाग के अधिकारी इस मामले में सही तथ्य क्यों नहीं दे पा रहे हैं। एक साल पुराने इस मामले में दिल्ली पुलिस की जांच पर भी सवाल उठने लगे हैं। क्योंकि पुलिस अभी पूछताछ के अलावा किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है और मामले को संदिज्ध ही बताया जा रहा है।