"एसिड पीड़िताओं का दर्द महसूसने के लिए खुद पर एक बूंद एसिड डाल कर देखें"
एसिड पीड़िताओं की पीड़ा वही समझ सकता है जो कम से कम एक बूंद एसिड अपने शरीर पर डाल कर उसका दर्द बर्दाश्त करे। यही लब्बोलुआब था दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में, प्रतिभा ज्योति की, तेजाब वार से घायल सघर्षशील महिलाओं का दर्द-ए-दास्तां हूबहू बयां करती पुस्तक ‘एसिड वाली लड़की ’ के लोकार्पण के प्रमुख वक्ताओं के वक्तव्य का।