संसद में हो रहे लगातार शोर-शराबे से आजिज आकर संसदीय कार्यमंत्री वेंकैया नायडू ने भावुक होकर कहा कि कांग्रेस देशहित में संसद चलने दे। वेकैंया ने कहा कि कांग्रेस सांसदों को नियम और कानून से कुछ लेना-देना नहीं है। संसद की कार्यवाही में अड़चन डालना उनकी आदत सी बन गई है।
पंजाब के अबोहर में दो गुटों के बीच हुए झगड़े के बाद एक गुट के दो लोगों के हाथ-पांव काट दिए गए। घटना के बाद स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। समाचार है कि जिन दो लोगों के हाथ-पांव काटे गए हैं उनमें से एक की मौत हो गई है। दोनों पीड़ित वाल्मीकि समुदाय से हैं।
मलबा हटाने, जोखिम भरी सफाई करने के लिए चेन्नै में हजारों दलितों को उतारा जा रहा है, मानो ये काम सिर्फ उनका है और उधर राहत वितरण में हो रहा है उनसे भेदभाव
दलित मुद्दे पर विवादित बयान देकर घिरे केंद्रीय मंत्री और पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह के राज्यसभा में आने का आज विपक्षी सदस्यों ने जमकर विरोध किया। विपक्ष ने उन्हें सरकार से बर्खास्त करने की मांग की। हरियाणा में कुछ समय पहले दो दलित बच्चों की मौत के बाद उनके कुत्ते संबंधी बयान के कारण विपक्षी सदस्य उनसे सदन से जाने की मांग कर रहे थे।
राहुल गांधी ने असहिष्णुता के मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए पिछले दिनों विदेश राज्य मंत्री वी के सिंह के दिए एक बयान का जिक्र किया। राहुल ने कहा, सरकार के एक मंत्री दलितों की तुलना कुत्ते से करते हैं और प्रधानमंत्री मोदी उन्हें अपनी सरकार में मंत्री बनाए रखते हैं।
केंद्र सरकार की ओर से तैयार कराए जा रहे दिशानिर्देशों के अनुसार, किसी बच्चे के जन्म प्रमाणपत्र में उसके दलित होने का जिक्र किया जा सकता है। इसके अलावा, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के स्कूल आठवीं कक्षा में पढ़ने के दौरान अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के छात्रों को जाति व मूल निवास प्रमाण-पत्र जारी करने के लिए जिम्मेदार होंगे।
बिहार में चुनावी परिणाम चाहे जो रहे, सरकार चाहे नीतीश कुमार की बने या नरेंद्र मोदी की, इन चुनावों के प्रचार ने राष्ट्रीय राजनीति के कई बंद दरवाजों को खोला है। कई ऐसे समीकरण आए, जिनके बारे में कुछ सालों पहले तक सोचा भी नहीं जा सकता था। नीतीश और लालू का साथ आना, अति पिछड़ा वर्ग का निर्णायक स्थिति में पहुंचना, तमाम वाम दलों का मिलकर चनाव लड़ना और पहली बार देश के प्रधानमंत्री का किसी राज्य के चुनाव के लिए रिकॉर्ड सभाएं करना। इन तमाम पहलुओं पर बिहार की जनता ने पैनी निगाह रखी और हर पहलू पर जमकर चर्चा हुई। ये बहसें सिर्फ बिहार की धरती तक ही सीमित नहीं रहीं, जहां भी बिहारी हैं, वहां बिहार के राजनीतिक भविष्य पर चिंता हावी रही।