उत्तराखंड की हरीश रावत सरकार के बागी नौ कांग्रेसी विधायकों को राज्य विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल द्वारा विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित करने के लिए जारी कारण बताओ नोटिस का जवाब दाखिल करने की समयसीमा के आज शाम समाप्त हो जाने के बाद सभी निगाहें विधानसभा अध्यक्ष के निर्णय पर टिक गई हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को बरेली में एक किसान रैली को संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने वर्ष 2022 तक देश के किसानों की आमदनी को दोगुना करने का लक्ष्य निर्धारित करते हुए कहा कि छोटे-छोटे कदम उठाकर कृषि क्षेत्र के सामने खड़ी चुनौतियों को अवसरों में बदला जा सकता है। रैली में उन्होंने राज्य सरकारों को किसानों को केंद्र सरकार के साथ मिलकर किसानों की स्थिति में क्रांतिकारी बदलाव लाने का भी आह्वान किया।
जीप का नाम लेते ही लोगों के जेहन में महिंद्रा की पुरानी जीप की तस्वीर उभरती है मगर अब भारत के कार प्रेमियों के लिए असली जीप बाजार में दस्तक देने को तैयार है।
एक गूढ़ वकील से लेकर देश के अब तक के एकमात्र मुस्लिम गृहमंत्री बनने तक का सफर तय करने वाले मुफ्ती मोहम्मद सईद ने एक मंझे हुए राजनीतिक खिलाड़ी की तरह राष्ट्रीय राजनीति और जम्मू-कश्मीर की राजनीति में अपने लिए एक अलग मुकाम बनाया। लगभग छह दशक तक के अपने राजनीतिक जीवन में सईद जम्मू-कश्मीर के ताकतवर अब्दुल्ला परिवार के खिलाफ शक्तिशाली प्रतिद्वंद्वी शक्ति का केंद्र बनकर उभरे। राजनीति के खेल में हमेशा अपने पत्ते छिपाकर रखने वाले सईद अपने राजनीतिक एजेंडे के अनुरूप चलने के लिए विरोधाभासी विचारधाराओं वाले दलों के साथ भी दोस्ती में गुरेज नहीं करते थे।
पॉप संगीत की दुनिया की मशहूर शख्सियत लेडी गागा उन महिलाओं के लिए दिलासा तो नहीं लेकिन नए जीवन की राह में प्रेरणा हो सकती हैं। गागा ने खुलासा किया है कि 19 साल की उम्र में वह बलात्कार का शिकार हुईं थीं। उन्होंने बताया कि इस भयावह अनुभव ने कैसे उनकी जिंदगी बदलकर रख दी।
स्वतंत्रता की 68वीं वर्षगांठ की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने देशवासियों का हार्दिक अभिनंदन किया है। राष्ट्र के नाम संदेश में उन्होंने संसद में होने वाले हंगामे पर विशेष रूप से टिप्पणी करते हुए कहा कि लोकतंत्र की हमारी संस्थाएं दबाव में हैं। संसद परिचर्चा के बजाय टकराव के अखाड़े में बदल चुकी है। अच्छी से अच्छी विरासत के संरक्षण के लिए लगातार देखभाल जरूरी होती है। समय आ गया है कि जब जनता तथा राजनैतिक दल गंभीर चिंतन करें।
काठमांडू के त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरने के बाद जब वहां के स्थानीय समाचार पत्रों पर नजर दौड़ाई तो पाया कि भूकंप की त्रासदी की चर्चा कम, संविधान की चर्चा ज्यादा है। हवाई अड्डे से बाहर निकलने के बाद बातचीत के क्रम में जब लोगों से जानना चाहा कि अब भूकंप के बाद क्या स्थिति है तो लोग भूकंप की बजाय देश के संविधान पर बात ज्यादा कर रहे थे। स्थानीय लोगों के मुताबिक अगर भूकंप नहीं आता तो शायद राजनीतिक दल संविधान को लेकर इतनी जल्दी सक्रिय नहीं होते।