दिल्ली में हवा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए लागू की गई सम-विषम योजना के दूसरे चरण में एक से 15 अप्रैल के मुकाबले 15 से 30 अप्रैल के बीच प्रदूषण के स्तर में करीब 23 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
मोदी सरकार के दो साल पूरे होने वाले हैं और इस बीच आज एक नए सर्वेक्षण में कहा गया है कि करीब आधे प्रतिभागी (49 प्रतिशत) अपने जीवन स्तर में कोई बदलाव महसूस नहीं करते, वहीं अन्य 15 प्रतिशत को लगता है कि हालात दरअसल बदतर हो गए हैं।
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के पांचवें चरण में आज 78.25 फीसदी मतदान हुआ जबकि 186 लोग चुनावी कदाचार और छिटपुट हिंसा की घटनाओं के सिलसिले में गिरफ्तार किए गए। हिंसा में कम से कम 15 लोग घायल हो गए। पश्चिम बंगाल के चुनाव प्रभारी उपचुनाव आयुक्त संदीप सक्सेना ने नई दिल्ली में मीडिया को बताया कि मतदान अधिकारियों से प्राप्त एसएमएस आधारित सूचना के आधार पर इस पांचवे चरण में शाम पांच बजे तक 78.25 फीसदी मतदान हुआ।
पटेल आरक्षण आंदोलन के दबाव के मद्देनजर गुजरात की भाजपा सरकार ने सामान्य वर्ग में पाटीदारों सहित आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की आज घोषणा की। इस घोषणा के अनुसार छह लाख रुपये से कम वार्षिक आय वाले परिवार आरक्षण के पात्र होंगे।
भयंकर सूखे से जूझ रहे मराठवाड़ा के लातूर क्षेत्र के लिए एक विशेष ट्रेन लगभग पांच लाख लीटर पानी लेकर आज सुबह पहुंची। यह ट्रेन 18 घंटे की यात्रा करने के बाद लातूर पहुंची।
उत्तराखंड में घरेलू और व्यवसायिक दोनों श्रेणियों में बिजली की दरों में करीब पांच फीसदी की वृद्धि होने से प्रदेश के उपभोक्ताओं को अब ज्यादा बिल चुकाना होगा।
यह एक कड़वी सच्चाई है मगर देश के करीब 80 फीसदी डॉक्टर धड़ल्ले से मरीजों को वे दवाएं दे रहे हैं जिन्हें हाल ही में केंद्र सरकार ने प्रतिबंधित सूची में शामिल किया है।
दिल्ली में आम आदमी पार्टी को मिलने वाले दान में अभूतपूर्व वृद्घि हुई है। एडीआर द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में आम आदमी पार्टी ही राज्य की मान्यता प्राप्त पार्टी है। बाकी छह पार्टियां राष्ट्रीय हैं।
कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक और कटक से अटक तक कोचिंग का धंधा औपचारिक शिक्षा के साथ-साथ पांव पसार चुका है और इस सच से कोई इनकार नहीं कर सकता। बिहार के मूल निवासी पीयूष कुमार गुजरात के अहमदाबाद में बैंक अधिकारी हैं। परिवार में पत्नी के अलावा सिर्फ एक बेटा है जो दसवीं की परीक्षा पास कर चुका है। मगर बेटा और पत्नी उनके साथ नहीं रहते। दोनों राजस्थान के कोटा में हैं जहां बेटा आईआईटी की प्रवेश परीक्षा पास करने के लिए एक नामी कोचिंग सेंटर में तैयारी कर रहा है। एक और उदाहरण देखें:ओडिशा से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर चुकी श्वेता कुमारी इंजीनियरिंग क्षेत्र में मंदी के कारण बैंक की नौकरी की तैयारी कर रही हैं। सिलीगुड़ी के अपने घर में रहकर उसने परीक्षा दी मगर लिखित परीक्षा की बाधा पार नहीं हो पाई। उसने दिल्ली का रुख किया और यहां एक कोचिंग से बैंकिंग की तैयारी के बाद पहली बार में ही रिजर्व बैंक और बैंक पीओ की लिखित परीक्षा पास कर ली। ये दो उदाहरण देश में कोचिंग के पूर्ण विकसित हो चुके धंधे की कहानी बयां करते हैं। जरा 15 साल पहले का जमाना याद करें जब कोचिंग का मतलब आपके घर में ही आस-पड़ोस के किसी बेरोजगार युवक द्वारा आपके बच्चों को पढ़ाई में थोड़ी-बहुत मदद कर देना होता था। अब अगर बच्चे को डॉक्टर, इंजीनियर, मैनेजर, प्रशासनिक अधिकारी या किसी सरकारी दफ्तर में क्लर्क ही बनना हो तो औपचारिक शिक्षा की डिग्री के साथ-साथ किसी कोचिंग संस्था का मार्गदर्शन होना अनिवार्य है अन्यथा गला काट प्रतिस्पर्धा के इस दौर में उसका पिछड़ना तय है। सीधे शद्ब्रदों में कहें तो कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक और कटक से अटक तक कोचिंग का धंधा औपचारिक शिक्षा के साथ-साथ पांव पसार चुका है और इस सच से कोई इनकार नहीं कर सकता। साल 2013 में हुए एक आकलन के मुताबिक भारत में कोचिंग इंडस्ट्री लगभग 23.7 अरब डॉलर (160.16 अरब रुपये) की थी, जिसके साल 2015 में 40 अरब डॉलर (270 अरब रुपये) के होने की भविष्यवाणी की गई थी और अगले पांच वर्षों में यह 500 अरब रुपये तक पहुंच सकती है।