वरिष्ठ नौकरशाह अमिताभ कांत का मानना है कि भारत जैसे लोकतंत्र में अगर कुछ लोग चाहते हों तो उन्हें बीफ सेवन की अनुमति दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि पंसद की आजादी होनी चाहिए।
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के दूसरे कार्यकाल में ब्लॉक आवंटित होने के बाद भी कई तरह की मंजूरी से परेशान परियोजना बीच में ही छोड़ कर चली गईं कई गैस खनन कंपनियां
वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आगामी वित्त वर्ष में त्वरित वृद्धि के लिए ढांचागत सुधारों को जारी रखने का संकल्प लेते हुए आज कहा कि भारत में 8-9 प्रतिशत वृद्धि दर हासिल करने की क्षमता है तथा उंची वृद्धि दर से ही गरीबी मिट सकती है। उन्होंने संकेत दिया कि आगामी बजट में लोकलुभावन नीतियों के बजाय ढांचागत सुधारों पर ध्यान दिया जाएगा।
‘योजना भवन’ की दीवार पोतकर ‘नीति आयोग’ का बोर्ड लगाने की पहली वर्षगांठ पर रोशनी और धूमधाम की तैयारी नहीं हो रही है। ‘नीति सम्राट’ आयोग के कामकाज और अब तक की ढिलाई से अप्रसन्न हैं। नवगठित आयोग में मुख्यमंत्रियों के उपसमूहों की रिपोर्ट अवश्य बनती गई, लेकिन अफसरों-बाबुओं ने पूरे एक वर्ष में केवल एक रिपोर्ट सरकार को दी। अब एक कुशल प्रशासनिक अधिकारी अमिताभ कांति को मुख्य कार्यकारी अधिकारी बनाया गया है, ताकि पूंजी निवेश और वितरण की योजना एवं व्यवस्था को पश्चिमी देशों की तर्ज पर आगे बढ़ाया जा सके।
बच्चों को अपराध से रोकने के साथ-साथ उन पर होने वाले जुल्म से बचाने के लिए किशोर न्याय अधिनियम लागू हो गया है। इसके तहत बच्चों से मारपीट करने पर अभिभावक को भी सजा का प्रावधान है।
देश के अहम मुस्लिम संगठनों की प्रतिनिधि संस्था, ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस ए मुशावरत का मानना है कि मुसलमानों के लिए शिक्षा क्षेत्र में आरक्षण की बेहद जरूरत है। मुशावरत ने विभिन्न क्षेत्रों में मुसलमानों के पिछड़ेपन की वजह अब तक की सरकारों की नीतियों को बताया है।
भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित प्रतिष्ठित वैज्ञानिक सीएनआर राव का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने विजन को हकीकत में बदलने के लिए सही वैज्ञानिक सलाह की जरूरत है तथा उन्हें अब मिशन आधारित परियोजनाओं की शुरूआत करनी चाहिए।
नई रक्षा खरीद नीति-2015 (डीपीपी-2015) की घोषणा इस साल में होने की उम्मीद लगभग खत्म हो गई है। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के अनुसार जनवरी 2016 तक नई प्रक्रिया की समीक्षा होने के बाद इसकी घोषणा होगी।
न जाने बच्चों की कितनी पीढ़ियां 1952 में आई फिल्म जागृति के गाने 'आओ बच्चो, तुम्हें दिखाएं...’ की समधुर धुन सुनकर देश को जाना होगा और शायद भूगोल और इतिहास की किताबों की तुलना में इन गानों के जरिये ज्यादा आसानी से अपने राष्ट्र पर गर्व महसूस किया होगा। ट्रेन यात्रा बच्चों के लिए हमेशा रोमांचक रही है।
पहले युद्ध और प्रेम में सबकुछ जायज ठहराया जाता था। अब आर्थिक-व्यापारिक हित शायद सबकुछ जायज कर देते हैं, यहां तक कि युद्ध और प्रेम को भी। बल्कि इनके बारे में यू-टर्न को भी। अच्छा हुआ कि अपने घरेलू जनाधारों में उबाल भरने के लिए दिखावे के जंगी स्वांग में भड़काऊ बयानबाजी के घोड़ों पर सवार भारत और पाकिस्तान की हुकूमतों ने अपनी भड़काऊ बयानबाजी के ऊंचे घोड़ों से उतरकर एक-दूसरे से पहले पेरिस में प्रधानमंत्री के स्तर पर, फिर क्रमश: बैंकॉक और इस्लामाबाद में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों और विदेशी मंत्रियों के जरिये एक-दूसरे से बातचीत शुरू करने के लिए हाथ मिलाया।