सरकार ने नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढि़या को कैबिनेट मंत्री का दर्जा देने का फैसला किया है जबकि आयोग के दो अन्य सदस्यों विवेक देबराय और वी. के.सारस्वत को राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया है।
लंदन में ललित मोदी को यात्रा दस्तावेज दिलावने के मामले में घिरीं विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के मंत्रालय ने अब आईटीआई के तहत इस मासले की जानकारी देने से भी इन्कार कर दिया है।
एचएसबीसी की जिनेवा शाखा में खातों की जानकारी छिपाने के मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री वसंत साठे के पुत्र और बहू को आज दिल्ली की एक अदालत में पेश होना पड़ा। अदालत ने उन्हें जमानत दे दी है।
कारपोरेट क्षेत्र का एक हिस्सा और भारत के वित्त मंत्रालय में एक प्रभावशाली तबका विदेशी दान दाताओं के मामले में ज्यादा अनुदार रवैये की उपयोगिता के बारे में संशय रखता है। उनकी राय में सामाजिक क्षेत्र में विदेशी दाता पूंजी के प्रति ज्यादा अनुदार रुख प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को हतोत्साहित करेगा। ऐसी कारपोरेट राय की अगुवाई नारायण मूर्ति करते हैं। देखें नृपेंद्र मिश्र की पंचायती क्या रंग लाती है।
मीडिया में आई खबरों के अनुसार, गृह मंत्रालय भारतीय एनजीओ को मिलने वाले विदेशी अनुदान पर नियम-कायदों का शिकंजा कसने के लिए एक नया तंत्र विकसित करने जा रहा है, जिसकी घोषणा 15 जून तक हो सकती है। इस नई नियामक व्यवस्था में खुफिया ब्यूरो, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और गृह मंत्रालय की एफसीआरए विंग के बीच मजबूत तालमेल रहेगा। विदेशी अनुदान हासिल करने वाले सभी गैर-सरकारी संगठनों को एक वेबसाइट बनानी होगी और फंड हासिल करने के 48 घंटे के अंदर इसकी जानकारी सार्वजनिक कर अपनी गतिविधियों और सहयोगी संस्थाओं की पूरी जानकारी देनी पड़ेगी।
इंडियन एकेडमी ऑफ पेडियाट्रिक्स (आईएपी) ने हेल्थफोन के साथ मिलकर आईएपी प्रोग्राम को औपचारिक रूप से लॉन्च किया। दुनिया का यह सबसे बड़ा डिजिटल व्यापक शिक्षा कार्यक्रम आईएपी हेल्थफोन प्रोग्राम भारत में राष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं और बच्चों में कुपोषण की चुनौती का मुकाबला करेगा। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने कहा कि यह नेटवर्क कुपोषण को कम करने में भारी मददगार होगा।
दिल्ली में 77 साल का एक बुजुर्ग 37 साल ली गई जमीन के मुआवजे के लिए भटक रहा है। मुआवजा तो दूर उसे इसकी जानकारी हासिल करने के लिए भी केंद्रीय सूचना आयोग से गुहार लगानी पड़ी।
आलोक कुमार और जितेन्द्र कुमार को नीति आयोग में पांच साल के लिए सलाहकार नियुक्त किया गया है। ये नियुक्तियां शनिवार से प्रभावी हो गई हैं। आलोक उत्तर प्रदेश कैडर के 1993 बैच के आईएएस अधिकारी हैं, जबकि जितेंद्र उत्तराखंड कैडर के 1987 बैच के भारतीय वन सेवा के अधिकारी हैं।