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Search Result : "नागरिक उड्डयन मंत्रालय"

सरकार ही छाप रही थी नकली नोट

सरकार ही छाप रही थी नकली नोट

भारतीय मुद्रा की छपाई के दौरान हुई सुरक्षा लापरवाही के मामले को दबाते हुए वित्त मंत्रालय ने अंदरखाने जांच भी शुरू कर दी लेकिन इस बात की किसी को भनक तक नहीं लग पाई। समाचार चैनल सीएनएन आईबीएन के हाथ लगी मामले की जांच रिपोर्ट सामने आई है। यह मामला पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के दौर का है।
कॉरपोरेट हवस से कैसे बचे लोकतंत्र?

कॉरपोरेट हवस से कैसे बचे लोकतंत्र?

कॉरपोरेट लॉबींग और सरकारी नीतियों को अपने पक्ष में मोड़ने का एक और बड़ा मामला सामने आया है। साल 2010 में कॉरपोरेट लॉबीस्ट नीरा राडिया के टेप के बाहर आने पर कॉरपोरेट, मीडिया, नौकरशाही और राजनीति के गठजोड़ से बड़े पैमाने पर पर पर्दा हटते दिखा था। उसी तरह पेट्रोलियम मंत्रालय के गोपनीय दस्तावेज़ों को हासिल करने में बड़े कॉरपोरेट समूहों ने किस तरह के हथकंडे अपनाये यह अब सामने आ चुका है।
लोशाली को कारण बताओ नोटिस

लोशाली को कारण बताओ नोटिस

३१ दिसंबर की रात गुजरात में पोरबंदर तट के निकट पाकिस्तानी बोट विस्फोट मामले में कोस्ट गार्ड के डीआईजी बीके लोशाली के खुलासे और फिर खंडन ने पाकिस्तान को भारत को घेरने का मौका दे दिया। इस बीच सरकार ने लोशाली को कारण बताओ नोटिस दे दिया है।
किसने और क्यों किया दस्तावेज चोरी

किसने और क्यों किया दस्तावेज चोरी

पेट्रोलियम मंत्रालय के दो कर्मचारियों सहित पांच लोगों को कथित रूप से गोपनीय सरकारी दस्तावेज को कुछ निजी सलाहकारों और उर्जा कंपनियों को लीक करने के आरोप में गिरफ्तारी के बाद से यह सवाल उठने लगा है कि किसने और क्यों यह दस्तावेज चोरी किया है।
मैले से मुक्ति के लिए जुटे मंत्री

मैले से मुक्ति के लिए जुटे मंत्री

केंद्र सरकार ने भारत को मैला प्रथा से मुक्त कराने की दिशा में देश भर से राज्य मंत्रियों की उच्च स्तरीय सम्मेलन बुलाया है। यह सम्मेलन दिल्ली के डीआरडीओ भवन में चल रही है और इसमें इस कुप्रथा के खात्मे के लिए अब तक उठाए गए कदमों की विवेचना हो रही है।
कड़े कदमों की आहट

कड़े कदमों की आहट

नरेंद्र मोदी ने विदेश नीति में बदलाव के संकेत देने से पहले विदेश मंत्रालय में बदलाव के संकेत पहले दे दिए। विदेश सचिव सुजाता सिंह को कार्यकाल खत्म होने से सात महीने पहले ही उन्हें अचानक उनके पद से हटाकर यह संकेत प्रधानमंत्री ने पूरी नौकरशाही को दिया। इसके बाद उन्होंने कहा, -नौकरशाही को अब समझना चाहिए कि रवैये में अंतर आया है, पहले संतुलन की बात होती थी, सक्रिय, अब तेजी से आगे बढ़ने वाली विदेश नीति अपनानी है।
केजरीवाल ने कोई मंत्रालय नहीं रखा

केजरीवाल ने कोई मंत्रालय नहीं रखा

अरविंद केजरीवाल ने दिल्‍ली के मुख्यंत्री पद की शपथ तो ले ली है मगर अपने पास कोई मंत्रालय नहीं रखा है। उन्होंने सभी विभाग मनीष सिसौदिया समेत अन्य मंत्रियों को बांट दिया है। इसे केजरीवाल की रणनीति माना जा रहा है ताकि वह दिल्ली के जरूरी मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर सकें।
ग्रीन पीस मामले में गृह मंत्रालय को सुप्रीम कोर्ट का झटका

ग्रीन पीस मामले में गृह मंत्रालय को सुप्रीम कोर्ट का झटका

गृह मंत्रालय को उस समय झटका लगा जब दिल्ली उच्च न्यायालय ने गैर सरकारी संगठन ग्रीनपीस पर विदेशी फंड पर लगी रोक को हटा दिया। अदालत ने विदेशी चंदे को प्राप्त करने पर लगाई गई रोक को असंवैधानिक, एकपक्षीय और गैरकानूनी कदम माना। इस फैसले को गैर सरकारी संगठनों ने लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की आजादी की जीत बताया।
आखिर क्या करेगा नीति आयोग?

आखिर क्या करेगा नीति आयोग?

हर ओर से यही सवाल उठ रहे हैं कि यह आयोग आखिर करेगा क्या? इसके अधिकारों और काम-काज के दायरे को अब तक परिभाषित नहीं किया गया है और फिलहाल इसे सिर्फ थिंक टैंक के रूप में लिया जा रहा है।
जवाबदेही के जुए से कतराती नौकरशाही

जवाबदेही के जुए से कतराती नौकरशाही

सूचना के अधिकार कानून के क्रियान्वयन पर अभी चार अध्ययन आए हैं। दो गैर सरकारी, परिवर्तन और सूचना के जनाधिकार पर राष्‍ट्रीय अभियान द्वारा, और दो सरकारी, केंद्रीय सूचना आयोग की कमेटी और स्वयं भारत सरकार के कार्मिक मंत्रालय द्वारा। सभी की रिपोर्ट के अनुसार सूचना का अधिकार सक्षमता से लागू करने में मुख्य बाधा अपर्याप्त क्रियान्वयन, कर्मचारियों के प्रशिक्षण का अभाव और खराब दस्तावेज प्रबंधन है। किसी ने फाइल देखने की नोटिंग की मांगों और खिझाऊ तथा तुच्छ आवेदनों के कारण नहीं माना है। फिर भी कार्मिक मंत्रालय नौकरशाही के दबाव में इनसे संबंधित लाना चाहता है तो उसकी मंशा पर शक होता है वही कार्मिक मंत्रालय जिसका अपना अध्ययन बताता है कि अभी देश के सिर्फ 15 प्रतिशत लोगों को सूचना के अधिकार के कानून की जानकारी है और 85 प्रतिशत लोगों को नहीं। यानी नौकरशाही अभी भी सिर्फ 15 प्रतिशत भारतीयों के प्रति जवाबदेह होने से भी कतरा रही है। और परिवर्तन की रिपोर्ट के अनुसार इन 15 प्रतिशत में सिर्फ एक-चौथाई यानी 27 फीसदी ही संतोषप्रद सूचना हासिल कर पाते हैं।
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