पटकथा लेखक और निर्देशक मोजेज सिंह की फिल्म जबान कहीं लड़खड़ाती है तो कहीं एक धुन में पूरा गीत गा लेती है। जबान की खासियत इसकी कहानी हो सकती थी, जो कि हो न सकी।
अपनी पुरानी फिल्म को झाड़-पोंछ कर दर्शकों के लिए फिर नया और देखने लायक कैसे बनाया जाता है यह तो प्रकाश झा से सीखा ही जाना चाहिए। शायद यही कारण है कि अपनी सफल फिल्म गंगाजल को झा ने जय गंगाजल नाम से फिर बना दिया।
सफलता की मिसालें होती हैं और असफलता की कहानियां। इन कहानियों से कभी जोश आता है तो कभी निराशा। के डी सत्यम ने अपने निर्देशन में बॉलीवुड डायरीज में ऐसी ही तीन कहानी नहीं तीन दीवानों को जगह दी है।
सोशल मीडिया, अखबारों और पत्रिकाओं में नीरजा के बहादुरी के किस्से आ जाने से यह बात फिर दोहराना जरूरी नहीं है कि उस दिन पैन एम की फ्लाइट में क्या हुआ था। जरूरी है कि इस फिल्म ने नीरजा के साथ न्याय किया है या नहीं।
निर्देशक अभिषेक कपूर ने फितूर को बड़े विश्वास के साथ बनाया है। चार्ल्स डिकंस के ग्रेट एक्सपेक्टेशंस के लंदन को कश्मीर की पृष्ठभूमि में पिरोना और फिर उसे बॉलीवुड की यादगार प्रेम कहानी के रूप में प्रस्तुत करने का काम उन्होंने बखूबी किया है।
सिविल सेवा परीक्षा से जुड़े मुद्दों की समीक्षा के लिए गठित एक विशेषज्ञ समिति ने लोगों से पूछा है कि क्या अनूसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के उम्मीदवारों को उम्र सीमा में मिली छूट और परीक्षा में बैठने के अधिक मौकौं को बरकरार रखा जाए?
केंद्र सरकार ने हैदराबाद विश्वविद्यालय में दलित छात्र की खुदकुशी के मामले की जांच के लिए एक न्यायिक आयोग के गठन का फैसला किया है। इस बीच, विश्वविद्यालय ने पीड़ित परिवार के लिए आठ लाख रूपये के मुआवजे की घोषणा की लेकिन छात्रों का विरोध प्रदर्शन जारी है।
रंजीव वर्मा और नीतू वर्मा ने स्कूल और इससे जुड़ी समस्याओं को बेहतर ढंग से रखा है और सोचने पर मजबूर किया। निर्देशक जयंत गिलेतर की यह कोशिश कामयाब ही कही जाएगी।