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Search Result : "पण्डित जवाहर लाल नेहरू"

मोदी राज को 'हिंदू तालिबान' बताने वाले मूर्तिकार पर वसुंधरा की गाज

मोदी राज को 'हिंदू तालिबान' बताने वाले मूर्तिकार पर वसुंधरा की गाज

वसुंधरा राजे की राजस्थान सरकार ने उस आदेश को रद्द कर दिया है जिसमें जयपुर के जवाहर कला केंद्र की गवर्निंग बॉडी में भारतीय मूल के ब्रिटिश मूर्तिकार अनीश कपूर को शामिल किया गया था। कपूर ने हाल ही में मोदी सरकार के शासन को हिंदू तालिबान करार देते हुए ब्रिटिश अखबार में एक लेख लिखा था। दो दिन पहले ही भाजपा शासित राजस्‍थान सरकार ने उन्‍हें बोर्ड में नामित किया था, जिसका भाजपा के भीतर ही काफी विरोध हुआ।
दलित लड़के की मौत को खट्टर ने बताया आत्‍महत्‍या

दलित लड़के की मौत को खट्टर ने बताया आत्‍महत्‍या

हरियाणा के मुख्यमंत्राी मनोहर लाल खट्टर ने सोनीपत में 15 साल के दलित लड़के की मौत को आत्महत्या करार दिया है। खट्टर ने इन आरोपों को भी खारिज किया कि इस लड़के की मौत पुलिस हिरासत में मौत हुई। उन्‍होंने मुआवजा के अतिरिक्त उसके परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने का ऐलान भी किया है।
दलित उत्‍पीड़न के लिए खट्टर-मोदी-संघ का रवैया जिम्‍मेदार: राहुल गांधी

दलित उत्‍पीड़न के लिए खट्टर-मोदी-संघ का रवैया जिम्‍मेदार: राहुल गांधी

दिल्‍ली से सटे फरीदाबाद के एक गांव में दबंगों द्वारा दलित परिवार को जिंदा जलाए जाने की घटना के बाद आज कांग्रेस उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे। उन्‍होंने इस घटना के लिए हरियाणा के मुख्‍यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ पर जमकर निशाना साधा।
कट्टर खट्टर पर ऑनलाइन प्रहार

कट्टर खट्टर पर ऑनलाइन प्रहार

एक अंग्रेजी अखबार को दिए गए इंटरव्यू में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने दादरी मसले पर बात करते हुए एक विवादित बयान दिया कि मुसलमान इस देश में रह सकते हैं लेकिन उन्हें गौमांस खाना छोड़ना होगा। इसके बाद से सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री के खिलाफ माहौल बन गया। चारों ओर से इस ब्यान की निंदा होने लगी। मुख्यमंत्री के ओएसडी जवाहर यादव ने स्थिति संभालते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने ऐसा कुछ नहीं कहा जबकि अखबार ने उनके मुंह में ऐसे शब्द डाले। इसके बाद अखबार ने मुख्यमंत्री के इंटरव्यू का ऑडियो टेप जारी कर दिया। सोशल मीडिया के कुछ कमेंट्स
भारत को 50 करोड़ डॉलर की सैन्य मदद देने को तैयार थे कैनेडी

भारत को 50 करोड़ डॉलर की सैन्य मदद देने को तैयार थे कैनेडी

1962 के युद्ध के बाद भारत पर चीन के हमले की आशंका से चिंतित जॉन एफ कैनेडी प्रशासन ने भारत को 50 करोड़ अमेरिकी डॉलर की सैन्य सहायता की योजना बनाई थी, जिसमें हथियार उत्पादन बढ़ाने में मदद के अलावा छह पर्वतीय इकाइयां बनाने जैसे प्रावधान शामिल थे। एक नई किताब में यह खुलासा किया गया है।
ऐतिहासिक मुकाम, लेखकों के इस्तीफे का बवंडर

ऐतिहासिक मुकाम, लेखकों के इस्तीफे का बवंडर

देश के सभी कोनों से, सभी भाषाओं में एक ही आवाज उठ रही है। यह अपने आप में ऐतिहासिक परिघटना है। इससे पहले इस देश में इतने बड़े पैमाने पर लेखकों-साहित्यकारों-रंगकर्मियों ने एक साथ एक ही मुद्दे पर मिलकर आवाज नहीं उठाई थी। वे सब अलग-अलग राज्यों से, अपनी-अपनी भाषाओं में एक ही स्वर बोल रहे हैं।
सेकुलर ग्रंथि पीड़‍ित कलमकारों ने लौटाए हैं पुरस्कार: संघ

सेकुलर ग्रंथि पीड़‍ित कलमकारों ने लौटाए हैं पुरस्कार: संघ

उदय प्रकाश, अशोक वाजपेयी और नयनतारा सहगल सहित 21 लेखकों द्वारा साहित्यिक सम्मान लौटाने की घोषणा पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि हिन्दू धर्म को विकृत करने और भारत को नष्ट करने के प्रयासों में सेकुलर ग्रंथि से पीड़ित कुछ असहिष्णु कलमकारों ने अपने तमगे लौटा दिए हैं।
नेहरू के दौर में भ्रष्टाचार

नेहरू के दौर में भ्रष्टाचार

भारत सरकार में इंटेलीजेंस ब्यूरो के पूर्व अधिकारी और विवेकानंद फाउंडेशन के फेलो आरएनपी सिंह को खुफिया से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों में गहरा अनुभव है। उनकी राइट्स एंड रांग्स, बांग्लादेश डिकोडेड और हिंदी में दो पुस्तकें बहुत चर्चित रहीं। नेहरू: ए ट्रबल्ड लीगेसी से उन्होंने कुछ मौलिक सवाल उठाए हैं: क्या हमने कभी नेहरू के बारे में ईमानदारी से मूल्यांकन किया है और इस प्रभाव में क्या हमने देश के समकालीन इतिहास का निष्पक्ष मूल्यांकन किया है? इस पुस्तक में नेहरू के सिद्धांतवाद या अपने हित में दोहरे मानदंड अपनाने पर सवाल उठाए गए हैं।
अनुपस्थित है किसान

अनुपस्थित है किसान

एक कहानी एवं कविता संकलन के अलावा आलोचनात्मक निबंध भी प्रकाशित। हिंदी के साथ अंगिका बोली में भी कविता संग्रह। भागलपुर विश्वविद्यालय से रीडर पद से सेवानिवृत्त।
क्‍यों कुलपति बनने के काबिल नहीं हैं सुब्रह़मण्यम स्वामी?

क्‍यों कुलपति बनने के काबिल नहीं हैं सुब्रह़मण्यम स्वामी?

सुब्रह़मण्यम स्वामी को जवाहरलाल नेहरू विश्‍वविद़यालय का कुलपति बनाने की चर्चा इतनी तेजी से शुरू हुई कि प्रायः हर किसी ने इसे सच मान लिया। अकादमिक दुनिया कान लगाकर आहट सुनने लगी। इस पर मीडिया माध्यमों से लेकर बौद्ध‍िक तबके में विमर्श का दौर शुरू हो गया और सुब्रह़मण्यम स्वामी की टिप्पणियां भी सामने आ गई। उन्होंने अपनी योजनाएं भी बता दीं कि वे जेएनयू में किस प्रकार नक्सलियों और ड्रग्स के शिकार लोगों को काबू में करेंगे। यह अपेक्षा भी जता दी कि सरकार उन्हें खुली छूट दे तो वे काम करने को तैयार हैं।
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