दिल्ली में प्रदूषण पर कड़ा रुख अख्तियार करते हुए राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने दिल्ली में प्रवेश करने वाले वाणिज्यिक वाहनों से पर्यावरण टैक्स वसूलने के निर्देश दिए हैं।
देश में पर्यावरण गंभीर खतरे में है। जन-जंगल-जमीन इस तरह प्रदूषित हो गया है कि साफ हवा और साफ पानी के लाले पड़े हुए हैं। ऐसे में पहले से लचर पर्यावरण कानूनों को मजबूत बनाने के बजाय केंद्र सरकार पर्यावरण कानूनों की समीक्षा के नाम पर पर्यावरण और लोगों के अधिकारों को रहन रखने की कोशिश कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के लिए पर्यावरण शब्द का मतलब निवेश का पर्यावरण बन गया है।
भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी की कंपनी को ऑस्ट्रेलिया में मिली कोयला खनन की मंजूरी वहां की एक अदालत ने रद्द कर दी है। करीब 16.5 अरब डॉलर की यह खनन परियोजना पर्यावरण संबंधी विवादों में बुरी तरह फंसी है।
डायपर्स, सैनिटेरी नैपकीन और कॉन्डम आदि जैसे कचरे को खुले में फेंक देने वालों के खिलाफ सरकार कार्रवाई करने के मूढ़ में है। पर्यावरण मंत्रालय ने सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट पर ड्राफ्ट नियमों को अपनी वेबसाइट पर अपलोड किया है और 31 जुलाई तक आम जनता से सुझाव मंगवाए हैं। सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए बनाए गए नियमों के मसौदे में पहली बार सैनिटेरी वेस्ट की परिभाषा भी तय की गई है। इसमें डायपर्स, सैनिटेरी नैपकीन और कॉन्डम वगैरह का जिक्र करके बताया गया है कि इनका निपटारा कैसे करना है।
ग्रीनपीस इंडिया ने दावा किया कि उसके अंतरराष्ट्रीय स्टाफ के एक सदस्य को वैध दस्तावेज होने के बावजूद भारत में प्रवेश की इजाजत नहीं मिली। एनजीओ के अनुसार, ग्रीनपीस इंटरनेशनल के एक सदस्य एरन गैरी ब्लाक यहां के कर्मचारियों के साथ बैठक के लिए शनिवार को सिडनी से विमान से चले। वह आस्ट्रेलिया के पासपोर्ट पर सफर कर रहे थे। लेकिन उन्हें भारत में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई।
बंद होने की चुनौती से जुझ रही ग्रीनपीस इंडिया के पास अपने अस्तित्व को बचाने के लिये सिर्फ एक महीना है। संस्था के पास अपने कर्मचारियों के वेतन और अन्य खर्चों के लिये सिर्फ महीने भर का पैसा बचा है। गृह मंत्रालय की कार्रवाई को ‘चुपके से गला घोंटने’ जैसा बताते हुए ग्रीनपीस इंडिया ने मंत्रालय को चुनौती दी है कि वो मनमाने तरीके से दंड लगाना बंद करे और इस बात को स्वीकार करे कि वो ग्रीनपीस इंडिया को उसके सफल आंदोलनों की वजह से बंद करना चाह रहा है।