गुर्जर आंदोलन पांचवें दिन भी जारी रहा लेकिन आंदोलन के नेता कर्नल बैंसला की तबीयत बिगड़ने और केंद्र से अर्धसैनिक बल की तीन कंपनियां भेजने के बाद यह आंदोलन अब कमजोर पड़ता दिख रहा है।
राजस्थान में गुर्जर फिर आंदोलन पर हैं। वे गुरुवार से मुंबई -दिल्ली रेल मार्ग को बाधित किए बैठे है। गुर्जर अपनी बिरादरी के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग कर रहे हैं। साथ ही अन्य पिछड़ा वर्ग में आरक्षण का स्वरूप न्यायपूर्ण बंनाने की मांग भी उठा रहे हैं। कुछ और छोटी जातियों के समूह भी ओ. बी. सी. आरक्षण में एक प्रभावशाली जाति की ज्यादा हिस्सेदारी पर सवाल उठा रहे हैं। सरकार ने गुर्जरों को बातचीत का न्योता दिया है। मगर गुर्जर अब कोई ठोस प्रस्ताव चाहते हैं।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और तीन अन्य आप नेता यहां पिछले साल एक आंदोलन के दौरान निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने और जनसेवकों को उनकी जिम्मेदारी निभाने से रोकने के मामले में शुक्रवार को दिल्ली की एक अदालत में पेश हुए।
लोकसभा में मंगलवार को भूमि अधिग्रहण विधेयक को संयुक्त समिति को भेजने के प्रस्ताव को स्वीकृति मिलने के साथ अब यह तय हो गया है कि सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच इस विधेयक को लेकर जोर आजमाइश अब संसद के मानसून सत्र तक टल गई है।
5 मई को लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में भारतीय जनता पार्टी सरकार ने आधिकारिक तौर पर माना कि नेताजी सुभाषचंद्र बोस के परिवार के सदस्यों की 20 सालों तक कथित जासूसी की जांच वह नहीं करवाने जा रही है। गृहराज्यमंत्री हरिभाई पारथी भाई चौधरी ने लोकसभा में एक लिखित सवाल के जवाब में यह भी माना कि नेताजी से संबंधित और कोई दस्तावेज सरकार सार्वजनिक नहीं करेगी।
आम आदमी पार्टी से निष्कासित नेता योगेंद्र यादव ने बुधवार को कहा कि उन्हें पार्टी से निकाले जाने के संबंध में कोई आधिकारिक संदेश नहीं मिला है और वह अब भी खुद को आंदोलन का हिस्सा मानते हैं।
सोनभद्र में 38 वर्षों से लंबित कनहर सिंचाई परियोजना को लेकर डूब क्षेत्र के ग्रामीणों और जिला प्रशासन में खूनी संघर्ष। प्रशासन ने की परियोजना स्थल की नाकाबंदी। धरनारत ग्रामीणों पर हुई गोलीबारी की जांच करने पहुंचे स्वतंत्र जांच दल को परियोजना निर्माण समर्थकों ने दो घंटे तक बनाया बंधक।
ईरान के विदेश मंत्री जावेद जरीफ ने मंगलवार को यहां एनपीटी समीक्षा सम्मेलन में कहा, परमाणु हथियार संपन्न देशों ने अपने परमाणु हथियारों को समाप्त करने की दिशा में कोई प्रगति नहीं की है।
पूरी दुनिया में भले ही भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को गुट निरपेक्ष आंदोलन के नेता के तौर पर जानती है लेकिन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने बांडुंग सम्मेलन की 60वीं सालगिरह के मौके पर नेहरू का नाम लेना तक जरूरी नहीं समझा। विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह ने भी नेहरू का जिक्र तक नहीं किया। कांग्रेस मुक्त भारत का नारा देकर सत्ता में आई मोदी सरकार अब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी इसी नीति को आगे बढ़ा रही है। भारत सरकार की ओर से वैश्विक मंच पर नेहरू के योगदान को नजरअंदाज करने का यह अनूठा मामला है।