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बेटी के प्रेम से आपत्ति या संपत्ति से प्रेम

बेटी के प्रेम से आपत्ति या संपत्ति से प्रेम

शीना बोरा की हत्या के तीन साल बाद एक ऐसे रिश्ते और अपराध की परत खुली है कि इसकी गहराई में जाने के बाद ही अनैतिक संबंध, लालच, धोखा और फिर हत्या की गुत्थी को समझा जा सकता है। पीटर मुखर्जी जब स्टार इंडिया के सीईओ थे, तभी उसकी घनिष्ठता एचआर कंसल्टेंट इंद्राणी मुखर्जी से बढ़ते हुए शादी तक पहुंची थी। पीटर की यह दूसरी शादी थी जबकि इंद्राणी की तीसरी। पीटर की पहली शादी से पैदा हुए बेटे राहुल मुखर्जी और इंद्राणी की पहली शादी से पैदा बेटी शीना बोरा के बीच प्रेम-संबंध ही शीना की हत्या का मुक्चय कारण बन गया। पुलिस सूत्रों की मानें तो हत्या का दूसरा कारण मां-बेटी के बीच पैसों का भी विवाद था। पुलिस को हत्याकांड में सबसे बड़ी सफलता इंद्राणी के ड्राइवर श्यामवर राय के अपराध कबूलने से मिली है और उसने इंद्राणी और संजीव खन्ना (इंद्राणी के पूर्व पति) के भी इस हत्या में शामिल होने की बात कही है।
शीना हत्‍याकांड: इंद्राणी और राहुल मुखर्जी से पूछताछ

शीना हत्‍याकांड: इंद्राणी और राहुल मुखर्जी से पूछताछ

मुंबई पुलिस ने शीना बोरा हत्याकांड से जुड़े पेचीदा केस की गुत्थी सुलझाने के लिए मीडिया दिग्गज पीटर मुखर्जी के बेटे राहुल मुखर्जी से पिछले 12 घंटों में दूसरी बार पूछताछ की है। राहुल और शीना के बीच प्रेम संबंधों की बात सामने आई है। यह बात भी अब तकरीबन साफ हो गई है कि शीना बोरा इंंद्राणी की बहन नहीं बल्कि बेटी थी। पुलिस इस मामले में राहुल और शीना के प्रेम संबंधों के अलावा प्रॉपर्टी विवाद का कोण भी तलाश रही है। कहा जा रहा है कि शीना इंद्राणी से प्रॉपर्टी में हिस्‍सेदारी मांग रही थी, जिसके चलते दोनों में अनबन हुई।
सच्ची प्रेम कहानी मांझी की

सच्ची प्रेम कहानी मांझी की

सच्ची घटनाओं को परदे पर उतारना अपने आप में मुश्किल काम है। वास्तविक चरित्र के बारे में दर्शकों की जानकारी कुछ ज्यादा ही होती है और वे फिल्म देखते वक्त भूल जाते हैं कि घटनाओं को परदे पर उतारने के लिए नाटकीयता का सहारा लेना जरूरी होता है। मांझी- द माउंटेन मैन इसी का उदाहरण है।
आजादी विशेष | मत बोल कि जुबां है बंदिश में तेरी

आजादी विशेष | मत बोल कि जुबां है बंदिश में तेरी

अभिव्यक्ति की आजादी के लिए यह वर्ष नाटकीय रहा है। यह इंडियाज डॉटर पर सेंसरशिप से लेकर श्रेया सिंघल फैसले के उत्साह और फिर गुपचुप तरीके से इंटरनेट पर पोर्नोग्राफी को ब्लॉक करने की सरकारी कोशिश के बीच झूलता रहा। हालांकि हर घटना ने अलग-अलग नाराजगी पैदा की मगर सच यही है कि ये सभी जुड़ी हुई हैं। ये सभी अभिव्यक्ति की आजादी पर खतरे को दूर रखने वाले संवैधानिक सुरक्षा उपायों में मौजूद खामियों को बताने वाले चेतावनी संकेत हैं।
'प्रेम प्रसंग, नामर्दी' किसान आत्महत्या के कारण: राधामोहन

'प्रेम प्रसंग, नामर्दी' किसान आत्महत्या के कारण: राधामोहन

किसानों की खुदकुशी के मुद्दे पर कृषि मंत्री राधामोहन सिंह के एक जवाब ने हंगामा खड़ा कर दिया है। कृषि मंत्री की मानें तो हर साल हजारों किसान प्रेम संबंध और नामर्दी जैसी वजहों से खुदकुशी कर रहे हैं।
आपातकाल की बरसी: दु:स्वप्न से ऐन पहले

आपातकाल की बरसी: दु:स्वप्न से ऐन पहले

वर्ष 1975 की 25 जून को इंदिरा गांधी सरकार ने आंतरिक आपातकाल की घोषणा की और भारतीय राजनीति के इस काले अध्याय से जुड़ी घटनाओं को तब अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्‍सप्रेस की एमसीडी बीट कवर करने वाली पत्रकार कूमी कपूर ने किताब की शक्‍ल दी है। यहां हम इस पुस्तक के कुछ अंशों को पाठकों के सामने ला रहे हैं जिनमें आपातकाल से ठीक पहले की घटनाओं का जिक्र है।
सिनेमा का इतिहास और वर्तमान

सिनेमा का इतिहास और वर्तमान

हिंदी में सिनेमा के इतिहास पर सबसे नई पुस्तक है - समय, सिनेमा और इतिहास। हिंदी सिनेमा के सौ साल पूरे होने पर जश्न तो कई हुए, अखबारों, पत्रिकाओं में कई अहम विशेषांक भी निकले लेकिन पुस्तक के रूप में बॉलीवुड के इतिहास को नए तरीके से समेटने का काम कम हुआ। कुछ देर से ही सही, लेकिन संजीव श्रीवास्तव की यह पुस्तक इस मायने में काफी सराहनीय है। पुस्तक में शामिल सौ साल से अधिक के हिंदी सिनेमा की बड़ी तस्वीरें, व्यक्ति और समाज की अनुभूति और अभिव्यक्ति की बहुरंगी भाव-भंगिमाओं को विविघता से संजोए हुए हैं। यहां व्यावसायिकता की चकाचौंध है, तो कला की प्रांजलता भी। बाजार के दबाव और समझौते की कहानियां हैं तो प्रतिबद सामाजिक सरोकार के नजीर भी हैं।
उसने कहा था – सौ साल पुराना प्रेम

उसने कहा था – सौ साल पुराना प्रेम

चंद्रधर शर्मा ‘गुलेरी’ की कहानी ‘उसने कहा था’ सौ साल की हो गई है। यह सिर्फ प्रेम कहानी नहीं है, बल्कि मासूम प्रेम की अभिव्यक्ति है। उसने कहा था गुलेरी जी ने सन 1915 में लिखी थी। सौ साल बाद भी इस कहानी की न रुमानियत खत्म हुई न मासूमियत।
इश्क वाकई में न्यूज नहीं

इश्क वाकई में न्यूज नहीं

फेसबुक फिक्शन श्रृंखला की दूसरी किताब इश्क कोई न्यूज नहीं को पाठकों के बीच लाने की तैयारियां जोरों पर हैं। इस पुस्तक का प्रोमो लंदन में आयोजित एक कार्यशाला के बाद अनौपचारिक रूप से लांच किया गया।
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