करदाताओं को बड़ी राहत देने के प्रयास के तहत केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने घोषणा की है कि अब करदाताओं को ऑनलाइन रिटर्न भरने के बाद डाक के जरिये विभाग में पावती पत्र भेजने की जरूरत नहीं पड़ेगी क्योंकि इस पत्र की प्रामाणिकता के लिए नए प्रकार का आधार कार्ड इस्तेमाल किया जा सकता है।
खुदरा भुगतान प्रणालियों के मामले में प्रमुख भूमिका निभाने वाली कंपनी नेशनल पेमेंट कॉरपोरशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) ने 15 करोड़ बैंक खातों को सफलतापूर्वक आधार संख्या से जोड़ने का नया मुकाम हासिल किया है।
केंद्र सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली को नकद भुगतान में तब्दील करने के लिए बड़ी खामोशी से कदम उठा रही है। सर्वोच्च न्यायालय के आधार पर जो फैसला दिया था, उसे धता बताते हुए इस सुविधा को 100 फीसदी आधार कार्ड से जोड़ने जा रही है।
सूचना के अधिकार कानून के क्रियान्वयन पर अभी चार अध्ययन आए हैं। दो गैर सरकारी, परिवर्तन और सूचना के जनाधिकार पर राष्ट्रीय अभियान द्वारा, और दो सरकारी, केंद्रीय सूचना आयोग की कमेटी और स्वयं भारत सरकार के कार्मिक मंत्रालय द्वारा। सभी की रिपोर्ट के अनुसार सूचना का अधिकार सक्षमता से लागू करने में मुख्य बाधा अपर्याप्त क्रियान्वयन, कर्मचारियों के प्रशिक्षण का अभाव और खराब दस्तावेज प्रबंधन है। किसी ने फाइल देखने की नोटिंग की मांगों और खिझाऊ तथा तुच्छ आवेदनों के कारण नहीं माना है। फिर भी कार्मिक मंत्रालय नौकरशाही के दबाव में इनसे संबंधित लाना चाहता है तो उसकी मंशा पर शक होता है वही कार्मिक मंत्रालय जिसका अपना अध्ययन बताता है कि अभी देश के सिर्फ 15 प्रतिशत लोगों को सूचना के अधिकार के कानून की जानकारी है और 85 प्रतिशत लोगों को नहीं। यानी नौकरशाही अभी भी सिर्फ 15 प्रतिशत भारतीयों के प्रति जवाबदेह होने से भी कतरा रही है। और परिवर्तन की रिपोर्ट के अनुसार इन 15 प्रतिशत में सिर्फ एक-चौथाई यानी 27 फीसदी ही संतोषप्रद सूचना हासिल कर पाते हैं।