केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी रविवार को एक सप्ताह की अमेरिका की यात्रा पर आएंगे। उनकी यात्रा का लक्ष्य भारत के महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा क्षेत्र में अरबों डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित करना और अमेरिका के साथ द्विपक्षीय संबंधों को गति देना है।
अमेरिका ने साफ कहा है कि भारत की वृद्धि दर को बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया है। ऐसा मालूम होता है। अमेरिका ने यह भी कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार आर्थिक सुधार के संबंध में अपने वादों को पूरा करने की दिशा में धीमी रही है हालांकि उसने नौकरशाही और एफडीआई की रोक कम करने जैसेे अहम कदम उठाए हैंं।
सरकार ने गुरुवार को कहा कि वह विमानन परिचालक परमिट (एओपी) प्रदान करने की मौजूदा नीति में संशोधन करेगी ताकि इसे घरेलू विमानन कंपनियों में 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की मंजूरी प्रदान करने से जुड़े हालिया फैसले के अनुरूप बनाया जा सके।
आर्थिक सुधारों को गति देते हुए सोमवार को मोदी सरकार ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति (एफडीआई पॉलिसी) में कई बड़े बदलावों का ऐलान किया। नागरिक उड्डयन और रक्षा क्षेत्र में 100 फीसदी एफडीआई को मंजूरी दे दी गई है।
कुल 33 लघु एवं मझोले उपक्रमों की कारोबारी विस्तार तथा कार्यशील पूंजी की जरूरतों को पूरा करने के लिए आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) लाने की योजना है। इन कंपनियों का बीएसई के एसएमई प्लेटफार्म पर सूचीबद्ध होने का इरादा है। इनका आईपीओ आगामी महीनों में आ सकता है।
विनिर्माण तथा पूंजी वस्तु उत्पादन क्षेत्रों के खराब प्रदर्शन से औद्योगिक उत्पादन अप्रैल माह में एक साल पहले की तुलना में 0.8 प्रतिशत घट गया। औद्योगिक उत्पादन में तीन महीने में यह पहली गिरावट है। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय के ताजा आंकड़ों में यह जानकारी दी गयी है। औद्योगिकी उत्पादन सूचकांक :आईआईपी: के संदर्भ में मापा जाने वाले औद्योगिक उत्पादन में पिछले वर्ष अप्रैल में तीन प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी थी।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सरकारी बैंकों का पूंजी-आधार और मजबूत करने के लिए उन्हें और धन मुहैया कराने की सरकार की प्रतिबद्धता जतायी है। जेटली ने सोमवार को कहा कि पिछले वित्त वर्ष में इन बैंकों को जो 18,000 करोड़ रुपये का संचयी नुकसान हुआ वह मुख्य तौर पर वसूल न किए जा सकने वाले रिण (एनपीए) के लिए ऊंचे पूंजी प्रावधान के कारण है।
पूंजी बाजार नियामक सेबी की स्टार्ट-अप सूचीबद्धता प्लेटफार्म को अधिक आकर्षक बनाने के लिये अगले महीने तक नियमों में ढील देने की योजना है। इसका मकसद इस क्षेत्र को कोष जुटाने के लिए उपयोगी बनाने में मदद करना है। साथ ही उनके विदेशी निवेशकों सहित मौजूदा निवेशकों को आसानी से बाहर निकलने का मौका उपलब्ध कराना है।