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Search Result : "प्रज्ञा पांडेय"

कोयला खदान के सच को चीन्हती आंखें

कोयला खदान के सच को चीन्हती आंखें

जिंदगी के तमाम उतार-चढ़ाव के बीच इंसान कई बार आत्म मूल्यांकन के दौर से गुजरता है। इस मूल्यांकन में ‘आत्म’ के साथ जीवन की अनेक परिस्थितियों, घटनाओं के साथ चलती कई जिंदगियों और उनसे जुड़े मनुष्यों की परख भी होती है। इस पूरी प्रक्रिया में अतीत से वर्तमान और वर्तमान से अतीत के रास्ते की आवाजाही शामिल होती है। आवाजाही का यह सिलसिला बदले हुए समय के अनेक परिवर्तनों का आधार बनता है।
मालेगांव विस्‍फोट : साध्‍वी प्रज्ञा की जमानत पर 6 जून को सुनवाई

मालेगांव विस्‍फोट : साध्‍वी प्रज्ञा की जमानत पर 6 जून को सुनवाई

मालेगांव बम धमाके मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से क्लीन चिट मिलने के बाद साध्‍वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की जमानत पर 6 जून को सुनवाई होगी। साध्वी प्रज्ञा के वकील ने सोमवार को मुंबई की एक कोर्ट में जमानत के लिए याचिका दायर की थी, जिस पर कोर्ट ने जून में सुनवाई की तारीख तय की।
मदन कश्यप को केदार सम्मान

मदन कश्यप को केदार सम्मान

सन 2015 के लिए समकालीन हिन्दी कविता का चर्चित केदार सम्मान इस साल वरिष्ठ कवि मदन कश्यप को दिया गया। प्रख्यात आलोचक प्रो. मैनेजर पाण्डेय ने कहा, मदन कश्यप मूलगामी काव्य दृष्टि के कवि हैं। मूलगामी दृष्टि वह है जो अपने समय के मनुष्य और समाज के भाव-कुभाव और स्वाभाव को जानती हो, दोनों के छल-छद्म, आतंक और क्रूरता को पहचानती हो और उन सबसे मुक्ति की राह बनाती हो।
मालेगांव विस्‍फोट : प्रताड़ना और क्‍लीच चिट, साध्‍वी प्रज्ञा होंगी रिहा

मालेगांव विस्‍फोट : प्रताड़ना और क्‍लीच चिट, साध्‍वी प्रज्ञा होंगी रिहा

मालेगांव विस्‍फोट मामले में क्रूर प्रताड़ना के बाद आखिरकार साध्‍वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को क्‍लीन चिट मिल गई है। मामले की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए ने शुक्रवार को मुंबई की एक अदालत में दायर होने वाली चार्जशीट में साध्वी का नाम नहीं दिया है। इससे उनके जल्द जेल से रिहा होने की उम्‍मीद है।
दिल्ली पुलिस को ठुल्ला कहने पर केजरीवाल को कोर्ट ने किया तलब

दिल्ली पुलिस को ठुल्ला कहने पर केजरीवाल को कोर्ट ने किया तलब

दिल्ली की एक अदालत ने दिल्ली पुलिस को ठुल्ला कहने के मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आरोपी के रूप में तलब किया है। मजिस्ट्रेट ने आदेश देते हुए कहा कि प्रथम दृष्ट्या उन्होंने अपराध किया था।
मालेगांव धमाका मामले के गवाहों के बयान गायब

मालेगांव धमाका मामले के गवाहों के बयान गायब

साल 2008 के मालेगांव बम धमाका मामले में कुछ गवाहों के इकबालिया बयान यहां की विशेष मकोका अदालत से गायब बताए जा रहे हैं, जिससे अधिकारियों ने दस्तावेजों की तलाश शुरू कर दी है। यह मुद्दा इस हफ्ते की शुरूआत में तब सामने आया जब विशेष अदालत के कर्मियों ने पूर्व विशेष लोक अभियोजक रोहिणी सैलिएन से संपर्क कर जानना चाहा कि क्या इस मामले के कुछ गवाहों के इकबालिया बयानों वाले दस्तावेज उनके पास हैं।
मनीष पांडेय के शतक से लाज बची भारत की

मनीष पांडेय के शतक से लाज बची भारत की

सलामी जोड़ी रोहित शर्मा (99) और शिखर धवन (78) की ठोस पारी के बाद नवोदित बल्लेबाज मनीष पांडेय के शानदार नाबाद शतक (104) की बदौलत आखिरकार भारत ने ऑस्ट्रेलियाई धरती पर जीत का स्वाद चख ही लिया। ऑस्ट्रेलिया से चार मैच हारने के बाद पांचवें और आखिरी एकदिवसीय मैच में भारत ने दो गेंद रहते 331 रन का लक्ष्य हासिल करते हुए छह विकेट ‌से यह मैच जीत लिया।
एक कवि का ‘मैं’ से ‘तुम’ हो जाना

एक कवि का ‘मैं’ से ‘तुम’ हो जाना

स्त्री अस्मिता को लेकर भारत में शुरू हुए स्त्रीवादी आंदोलनों और महिला अधिकारों की बहसों की शुरुआत के बाद से स्त्रीवादी कविता में उसके सरोकारों की भी बात होने लगी। हालांकि, उसके पहले भी स्त्रीवादी कविताएं लिखी जाती थीं, लेकिन तब उसमें स्त्री अधिकारों और सरोकारों की बातें कम होती थीं, स्त्री सौंदर्य और स्त्री प्रेम की बातें ज्यादा होती थीं।
मात्र ऐतिहासिक दस्तावेज नहीं, अभिनंदन ग्रंथ

मात्र ऐतिहासिक दस्तावेज नहीं, अभिनंदन ग्रंथ

हिंदी के अनेक दुर्लभ ग्रंथ, पुरानी पुस्तकों की प्रति, पत्रिकाओं की पुरानी फाइलें अब उपलब्‍ध नहीं हैं। इस कारण देश के विश्वविद्यालयों में शोध कार्य प्रामाणिक ढंग से नहीं हो पाते और साहित्य में ऐतिहासिक तथ्यों को लेकर गड़बड़ियां बनी रहती हैं। इस कमी को देखते हुए राष्ट्रीय पुस्तक न्यास ने सन 1933 में प्रकाशित द्विवेदी अभिनंदन ग्रंथ को दोबारा प्रकाशित कर अच्छा काम किया है। लेकिन जिस तरह हड़बड़ी और असावधानी में यह ग्रंथ प्रकाशित किया गया है उसे लेकर चिंता होती है।
प्रज्ञा पांडेय की कहानी: तस्दीक

प्रज्ञा पांडेय की कहानी: तस्दीक

संस्कृत में एमए के बाद बीएड। साहित्यिक अभिरुचियों के चलते कहानी लेखन की ओर झुकाव। पहली कहानी हंस में प्रकाशित। इसके बाद विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कहानियां और लेख प्रकाशित। कृष्ण बिहारी के संपादन में आबूधाबी से निकलने वाली पहली हिंदी पत्रिका निकट में कार्यकारी संपादक। लखनऊ में निवास।
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