आक्रोश और उन्माद हिंसा दे सकते हैं, न्याय नहीं, राज्यसभा में किशोर न्याय (बाल देखरेख एवं संरक्षण) विधेयक-2015 के पारित होने से यही बात फिर से साबित हुई है। उंन्मादित जनता बस 16 दिसंबर 2012 सामूहिक बलात्कार (निर्भया) के किशोर अपराधी का खून मांगने निकली थी, सरकार ने उसके दामन में देश भर के बच्चों को अपराधी बनाने का दाग भर दिया। जी हां, किशोर न्याय विधेयक का बर्बर बलात्कार और हत्यायों से कोई खास रिश्ता नहीं है। यह विधेयक किसी भी ‘जघन्य’ अपराध के आरोपी किशोरों के साथ व्यस्क अपराधियों सरीखा व्यवहार करने, उन पर वयस्क अदालतों में मुकदमा चलाने और उन्हें वयस्कों के लिए बनी जेल में भेजने का रास्ता खोलता है।
निर्भया कांड के नाबालिग दोषी की रिहाई के बाद सरकार पर किशोर न्याय संशोधन विधेयक को संसद में पारित कराने का दबाव बढ़ गया है। इस विधेयक में जघन्य अपराधों में शामिल 16 साल से ऊपर के किशोरों को व्यस्कों जैसी सजा देने का प्रावधान है। इस विधेयक पर आज राज्यसभा में चर्चा और इसके पास होने की उम्मीद की जा रही है।
जुवेनाइल जस्टिस बिल आज राज्यसभा में पारित हो गया। नए कानून के जरिये जघन्य अपराध में नाबालिग को पुन: परिभाषित किया गया है। इस कानून के तहत जघन्य अपराधों में शामिल 16 वर्ष से 18 वर्ष की आयु के नाबालिगों को भी वयस्क मानकर मुकदमा चलाया जाएगा।
राज्यसभा में आज विभिन्न दलों के सदस्यों ने किशोर न्याय कानून में संशोधन के प्रावधान वाले विधेयक को जल्दी पारित किए जाने पर बल दिया। इसके कुछ देर पहले ही उच्चतम न्यायालय ने निर्भया मामले में नाबालिग दोषी की रिहाई के खिलाफ एक याचिका को खारिज कर दिया।
सोलह दिसंबर, 2012 की सामूहिक बलात्कार की दर्दनाक घटना के मामले में दोषी किशोर की रविवार को रिहाई का रास्ता आज उस समय साफ हो गया जब दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस मामले में हस्तक्षेप से इंकार करते हुए कहा कि कानून के वर्तमान प्रावधानों के तहत उसे रिहा होने से नहीं रोका जा सकता। अगर उच्चतम न्यायालय रोक नहीं लगाता है तो अब 20 साल के हो चुके दोषी के 20 दिसंबर को तीन साल की सजा पूरी करने के बाद सुधार गृह से बाहर आने की उम्मीद है।
अरविंद केजरीवाल की दिल्ली सरकार ने अपना जन लोकपाल विधेयक सोमवार को विधानसभा में पेश कर दिया। इस बीच स्वराज अभियान ने इस विधेयक के खिलाफ अपना विरोध-प्रदर्शन तेज कर दिया है। इस सिलसिले में कल विधानसभा मार्च के लिए जाते स्वराज अभियान के प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव समेत कई नेताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया था।
जन लोकपाल बिल को लेकर स्वराज अभियान के नेता प्रशांत भूषण ने अरविंद केजरीवाल की दिल्ली सरकार पर हमले तेज कर दिए हैं। प्रशांत भूषण ने दावा किया है कि दिल्ली सरकार की ओर से लाया जा रहा जन लोकपाल विधेयक वर्ष 2014 के उस विधेयक से पूरी तरह अलग है, जिसके लिए केजरीवाल ने सत्ता छोड़ने की बात कही थी।
भारतीय जनता पार्टी ने बजरंग दल कार्यकर्ता प्रशांत पुजारी की हत्या की सीबीआई से जांच कराने की मांग की है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष प्रह्लाद जोशी ने चेतावनी दी है कि अगर राज्य सरकार ने प्रशांत पुजारी हत्याकांड को गंभीरता से नहीं लिया तो पार्टी सड़कों पर उतरेगी। भाजपा ने पुजारी के परिजनों को कम से कम 25 लाख रुपये मुआवजा दिए जाने की मांग भी उठाई है।