रंगों का त्योहार होली हो या रोशनी का उत्सव दीवाली- समाज के हर वर्ग को साथ मिलकर खुशियां बांटने की प्रेरणा देता है। यूं देश के शीर्ष नेता औपचारिक शुभकामना संदेश देते हैं, लेकिन हाल के वर्षों में राजनीति में सक्रिय नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच जिस तरह की जहरभरी पिचकारियां चलती हैं, वह समाज और लोकतंत्र के लिए खतरनाक बनती जा रही हैं।
जम्मू-कश्मीर में सरकार के गठन को लेकर जारी गतिरोध समाप्त होने के संकेत हैं। पीडीपी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने आज दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और उसके बाद उन्होंने कहा कि वह इस भेंट से पूरी तरह संतुष्ट हैं। हालांकि उन्होंने तत्काल सरकार गठन के बारे में कोई जानकारी देने से इनकार कर दिया मगर पीडीपी और भाजपा के अंदरुनी सूत्र बताते हैं कि होली के बाद राज्य में सरकार का गठन हो सकता है।
सभी को होली का इंतजार है लेकिन इस त्योहार में पिचकारी, गुब्बारों, डाई और गुलाल में प्रयोग जाने वाले रंग त्वचा और बालों के लिए सुरक्षित नहीं होते हैं। इनमें माइका और लैड जैसे रसायनिक पदार्थ होते हैं। जिससे न केवल त्वचा में जलन पैदा होती है बल्कि यह सब सिर की चमड़ी पर जमा भी हो जाते हैं। होली खेलने के बाद त्वचा निर्जीव सी हो जाती है। इस मौके पर त्वचा की देखभाल के लिए हम बता रहे हैं कुछ खास उपायः
वृंदावन में रह रहीं विधवाएं और निराश्रित महिलाएं इस दफा 21 मार्च को सामूहिक तौर पर होली मनाएंगी। इसमें वाराणसी के आश्रय सदनों में निवास कर रहीं कुछ अन्य विधवाएं भी सम्मिलित होगी।
खोजी पत्रकार बन गए बच्चे जिद पकड़ बैठे कि होली से पहले मालपुआ का प्रोमो टेस्ट होना चाहिए। अब उन्हें कौन समझाए कि प्रोमो के चक्कर में असली माल पर हाथ साफ करने वालों की कमी नहीं है
कपार पर गुलाल की बिंदी लगाने को ही होली मान लेने वालों को राजद्रोही मानना चाहिए। होली तो ऐसी होनी चाहिए कि अगल-बगल के चार घरों से लोग निकल कर देखें और कहें वाह क्या होली है
विश्व चैंपियनशिप में दो बार कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय शटलर पी वी सिंधु ने मलेशिया के पेनांग में चल रहे मलेशिया मास्टर्स ग्रां प्री गोल्ड का खिताब जीत लिया है। सिंधु ने स्कॉटलैंड की क्रिस्टी गिलमर को सीधे गेम में हराकर खिताब अपने नाम किया। इस जीत के साथ ही उन्होंने नए सत्र की एक बेहद शानदार शुरूआत की है।
अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय के कुलपति ने कहा कि विश्व स्वास्थ संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के अनुसार, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) से जो छात्र डाॅक्टर बनकर निकल रहे हैं, उसमें से 54 प्रतिशत डाॅक्टर विदेश चले जाते हैं और लौटकर भारत नहीं आते। रिपोर्ट यह भी कहती है कि हिन्दी माध्यम से स्कूल की पढ़ाई अच्छे अंकों से उत्तीर्ण करने वाले छात्र जब एम्स जैसी संस्था में पढ़ने जाते हैं, तो भाषाई स्तर पर पिछड़ने की वजह से उनमें से कई तो आत्महत्या तक कर लेते हैं। यही वजह है कि अब एमबीबीएस की परीक्षा हिंदी में कराने की मुहिम तेज हो गई है।